"पिछले कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के कामकाज में कई क्षेत्रों में भारी खामियां सामने आई हैं। दुर्भाग्य से, प्रमुख मुद्दों पर गतिरोधों ने साझा समाधान की तलाश को कमज़ोर कर दिया है। इन अनुभवों ने सामान्य रूप से सुधारित बहुपक्षवाद और विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र एवं उसकी सुरक्षा परिषद के बहुपक्षवाद की ज़रूरत को और भी ज़रूरी बना दिया है। ब्रिक्स ने सकारात्मक रुख अपनाया है। हम सुधार की इस ज़रूरत को समझते हैं और हमें उम्मीद है कि यह सामूहिक रूप से बहुप्रतीक्षित बदलाव की एक मज़बूत आवाज़ बनेगा," जयशंकर ने कहा।
बाधाओं को बढ़ाने और लेन-देन को जटिल बनाने से कोई मदद नहीं मिलेगी, उन्होंने कहा।
"बाधाओं को बढ़ाने और लेन-देन को जटिल बनाने से कोई मदद नहीं मिलेगी, न ही व्यापार उपायों को गैर-व्यापारिक मामलों से जोड़ने से। ब्रिक्स स्वयं अपने सदस्य देशों के बीच व्यापार प्रवाह की समीक्षा करके एक मिसाल कायम कर सकता है।"