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ज़ेलेंस्की केवल आत्मसमर्पण का आदेश देकर ही बचा सकते हैं अपने सैनिकों का जीवन: विशेषज्ञ

कुप्यांस्क और क्रास्नोआर्मेय्स्क के युद्धक्षेत्रों में लगभग दस हज़ार यूक्रेनी सैनिक घिरे हुए हैं। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अनुसार, अब यूक्रेनी नेतृत्व को अपने सैनिकों और नागरिकों के भविष्य पर निर्णय लेना होगा, जैसा कि मारीउपोल में किया गया था।
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रूसी सैन्य विशेषज्ञ और सैन्य खुफिया के पूर्व अधिकारी कर्नल (सेवानिवृत्त) रुस्तम क्लुपोव ने Sputnik को बताया कि अगर व्लादिमीर ज़ेलेंस्की अपने सैनिकों को आत्मसमर्पण का आदेश देते हैं, तो यह न केवल मानवीय दृष्टिकोण से सराहनीय होगा, बल्कि उनके नेतृत्व की छवि को भी सुधार सकता है।

क्लुपोव ने कहा "वर्तमान परिस्थितियों में यूक्रेनी बलों के लिए बाहर निकलने का कोई वास्तविक मार्ग शेष नहीं बचा है। वे आग और ड्रोन हमलों से पूरी तरह घिरे हुए हैं। रूसी टोही इकाइयां लगातार निगरानी कर रही हैं जिससे कि कोई भी मार्ग खुला न रहे।"

विशेषज्ञ ने बताया कि रूसी सेना ने बार-बार यूक्रेनी सैनिकों से आत्मसमर्पण करने का आह्वान किया है। लेकिन ऐसा निर्णय लेने का अधिकार केवल उनके कमांडरों और उच्च नेतृत्व के पास है और कई सैनिक अब भी अपनी शपथ के प्रति वफादार हैं। उनमें से कई पहले ही अपने साथियों या परिवार के सदस्यों को खो चुके हैं, जिससे उनका मनोबल असामान्य रूप से कम है।
क्लुपोव ने कहा कि यदि ज़ेलेंस्की ने आत्मसमर्पण की अनुमति दी, तो यह एक मानवीय कदम होगा, लेकिन साथ ही इससे यूक्रेनी मोर्चा भी ध्वस्त हो सकता है, क्योंकि प्रतिरोध समाप्त होने पर रूसी सेना की अग्रिम कार्रवाई की गति तेज़ हो जाएगी।
रूसी विशेषज्ञ के अनुसार, क्रास्नोआर्मेय्स्क दिशा में लगभग 50 किलोमीटर लंबा मोर्चा है, जिसकी गर्दन सिर्फ 5 किलोमीटर चौड़ी है। यदि यूक्रेनी बल इस क्षेत्र में प्रतिरोध छोड़ देते हैं, तो यहां नियुक्त रूसी सैनिकों को अन्य मोर्चों पर पुनः नियुक्त किया जा सकता है।
उन्होंने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि इतिहास में खार्कोव को कभी सीधे नहीं घेरा गया। चाहे वह महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध हो या गृहयुद्ध, शत्रु सेना को सदैव रणनीतिक रूप से पीछे हटने के लिए विवश किया गया।

क्लुपोव ने कहा कि इन घिरे हुए सैनिकों की संख्या घटकर पांच हज़ार या उससे भी कम रह सकती है। अंततः ये सैनिक 'घिरे हुए' से 'लापता' और फिर 'मारे गए' की श्रेणी में चले जाएंगे”।"

उन्होंने स्थिति को दुखद बताते हुए कहा कि यह "रूसी दुनिया की आनुवंशिक विरासत का विनाश” है और पश्चिमी देशों को इससे लाभ हो रहा है, क्योंकि वे रूस और यूक्रेन के बीच अधिक से अधिक संघर्ष चाहते हैं।

उन्होंने निष्कर्ष में कहा कि "ज़ेलेंस्की अब एक राजनीतिक शव के समतुल्य हैं। यूक्रेन एक कार्यात्मक राज्य के रूप में असफल हो चुका है, और ज़ेलेंस्की एक वैध राष्ट्रपति नहीं, बल्कि मात्र असंवैधानिक रूप से सत्ता पर क़ब्ज़ा जमाए एक व्यक्ति हैं।"

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