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शांति स्थापना आज बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य है: जयशंकर
शांति स्थापना आज बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य है: जयशंकर
Sputnik भारत
भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर 15 सदस्यों वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में हैं।
2022-12-16T14:26+0530
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विश्व
एस. जयशंकर
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भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा, संयुक्त राष्ट्र में शांति स्थापना आज और अधिक कठिन व चुनौतीपूर्ण कार्य हो गया है। उन्होंने ट्रस्टीशिप काउंसिल में "शांति के रक्षकों के खिलाफ बढ़े अपराधों के जवाबदेही के लिए दोस्तों का समूह" की शुरुआत के मौके पर यह दावा किया। वहां भारत के साथ बांग्लादेश, मिस्र, फ्रांस, मोरक्को और नेपाल जैसे देशों ने इसके सह-अध्यक्षों के रूप में भाग लिया।भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि शांति स्थापना का अभियान कठिन स्थितियों में आयोजित किए जाते हैं। सशस्त्र हथियारबंद समूहों, आतंकवादियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के [विवादों में] शामिल होने की वजह से शांति रक्षकों की गतिविधियों को नुकसान पहुँच रहा है और कई ने तो अपनी जान भी गबाई है । उन्होंने इस पर ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों को रोकना बहु-हितकारक है। उनके अनुसार, जब शांति सैनिकों के खिलाफ अपराध किए जाते हैं, तो जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए मेजबान राष्ट्रों के पास राजनीतिक शक्ति या आवश्यक क्षमता नहीं होती है। पहला शांति मिशन 1948 में शुरू किया गया था। वह मिशन नए इज़राइल में भेजा गया था, जहाँ इज़राइल और अरब देशों के बीच इज़राइल की निर्माण के कारण संघर्ष शुरू हुआ था। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, 1948 से अब तक 1000 से अधिक शांति रक्षक मारे जा चुके हैं, और 3000 से अधिक घायल हुए हैं।
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शांति स्थापना आज बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य है: जयशंकर
भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर 15 सदस्यों वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के न्यूयॉर्क संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में हैं।
भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा, संयुक्त राष्ट्र में शांति स्थापना आज और अधिक कठिन व चुनौतीपूर्ण कार्य हो गया है।
उन्होंने ट्रस्टीशिप काउंसिल में "शांति के रक्षकों के खिलाफ बढ़े अपराधों के जवाबदेही के लिए दोस्तों का समूह" की शुरुआत के मौके पर यह दावा किया। वहां भारत के साथ बांग्लादेश, मिस्र, फ्रांस, मोरक्को और नेपाल जैसे देशों ने इसके सह-अध्यक्षों के रूप में भाग लिया।
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि शांति स्थापना का अभियान कठिन स्थितियों में आयोजित किए जाते हैं। सशस्त्र हथियारबंद समूहों, आतंकवादियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के [विवादों में] शामिल होने की वजह से शांति रक्षकों की गतिविधियों को नुकसान पहुँच रहा है और कई ने तो अपनी जान भी गबाई है ।
सुब्रमण्यम जयशंकर ने यह भी कहा कि आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन वर्षों में शांति के नाम पर 20 देशों के 68 शांति रक्षकों की मौत हो चुकी है। इसके साथ मंत्री ने याद दिलाई कि शांति अभियानों के दौरान भारतीय शांति रक्षकों की मृत्यु सबसे अधिक होती है, और कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले तीन साल नीले झंडे की रक्षा करते समय 177 भारतीय शांति सैनिकों अपने जीवन का बलिदान किया है।
उन्होंने इस पर ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों को रोकना बहु-हितकारक है। उनके अनुसार, जब शांति सैनिकों के खिलाफ अपराध किए जाते हैं, तो जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए मेजबान राष्ट्रों के पास राजनीतिक शक्ति या आवश्यक क्षमता नहीं होती है।
जयशंकर ने बताया कि भारत ने पिछले अगस्त में अपनी अध्यक्षता के दौरान एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षकों के खिलाफ हत्या और हिंसा के लिए जवाबदेही की मांग की गई थी ।
पहला शांति मिशन 1948 में शुरू किया गया था। वह मिशन नए इज़राइल में भेजा गया था, जहाँ इज़राइल और अरब देशों के बीच इज़राइल की निर्माण के कारण संघर्ष शुरू हुआ था। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, 1948 से अब तक 1000 से अधिक शांति रक्षक मारे जा चुके हैं, और 3000 से अधिक घायल हुए हैं।