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दूल्हे के वेश में 50 लोग घोड़े पर दुल्हन लेने पहुंचे कलेक्टर कार्यालय
दूल्हे के वेश में 50 लोग घोड़े पर दुल्हन लेने पहुंचे कलेक्टर कार्यालय
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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के अनुसार, महाराष्ट्र का लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 920 महिलाओं का था। 23.12.2022, Sputnik भारत
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महाराष्ट्र के सोलापुर में प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्नीक्स (PCPNDT) एक्ट को लागू करने की मांग को लेकर लगभग 50 अविवाहित युवक सहरा बांधकर ड्रम और घोड़ों के साथ जिलाधीस कार्यालय पहुंच गए । डेयरी व्यवसाय चलाने वाले 29 वर्षीय शीलवंत क्षीरसागर उन 50 योग्य कुंवारे लडकों में शामिल थे जो अपने लिए दुल्हन की तलाश कर रहे हैं।क्षीरसागर ने कहा कि अब तक उसके पास शादी के 25 प्रस्ताव आए हैं । लेकिन ज्यादातर मामलों में महिला पक्ष ने यह जानकर प्रस्ताव ठुकरा दिया, कि क्योंकि न तो वह शहर में रहता है और ना ही उसके पास कोई नौकरी है। कार्यक्रम का आयोजन करने वाली ज्योति क्रांति परिषद के संस्थापक रमेश बारस्कर ने कहा कि लोग भले ही इस मोर्चे का मजाक उड़ाएं, लेकिन यह कड़वी सच्चाई है, कि राज्य में विवाह योग्य उम्र के युवाओं को सिर्फ इसलिए दुल्हन नहीं मिल रही है, क्योंकि राज्य में स्त्री-पुरुष का अनुपात बिगड़ा हुआ है। लोगों ने राज्य में पुरुष-महिला अनुपात में सुधार के लिए गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम को लागू करने की भी मांग की। परेड के बाद लोगों ने राज्य में पीसीपीएनडीटी अधिनियम को सख्ती से लागू करने की मांग को लेकर जिला कलेक्टर कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपा।
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दूल्हे के वेश में 50 लोग घोड़े पर दुल्हन लेने पहुंचे कलेक्टर कार्यालय
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के अनुसार, महाराष्ट्र का लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 920 महिलाओं का था।
महाराष्ट्र के सोलापुर में प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्नीक्स (PCPNDT) एक्ट को लागू करने की मांग को लेकर लगभग 50 अविवाहित युवक सहरा बांधकर ड्रम और घोड़ों के साथ जिलाधीस कार्यालय पहुंच गए ।
डेयरी व्यवसाय चलाने वाले 29 वर्षीय शीलवंत क्षीरसागर उन 50 योग्य कुंवारे लडकों में शामिल थे जो अपने लिए दुल्हन की तलाश कर रहे हैं।
"मैं 29 साल का अविवाहित हूं, और सोलापुर जिले के एक ग्रामीण हिस्से से हूं। हमारा पारिवारिक डेयरी व्यवसाय है और दो एकड़ जमीन पर खेती भी करता हूं। जब भी शादी का प्रस्ताव आता है, तो होने वाली दुल्हन का पहला सवाल होता है कि क्या मैं " शहर में रहता हूं की नहीं ? नौकरी करता हूँ की की नहीं ? इत्यादि इत्यादि ...," उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा।
क्षीरसागर ने कहा कि अब तक उसके पास शादी के 25 प्रस्ताव आए हैं । लेकिन ज्यादातर मामलों में महिला पक्ष ने यह जानकर प्रस्ताव ठुकरा दिया, कि क्योंकि न तो वह शहर में रहता है और ना ही उसके पास कोई नौकरी है।
"मैंने कुछ मैट्रिमोनियल साइट्स और मैरिज ब्यूरो पर भी अपना प्रोफाइल डाला है, लेकिन यह सब फालतू बेकार है , इससे पता चलता है कि कोई भी महिला गाँव में रहने वाले पुरुष से शादी करना नहीं चाहती," क्षीरसागर ने आगे कहा
कार्यक्रम का आयोजन करने वाली ज्योति क्रांति परिषद के संस्थापक रमेश बारस्कर ने कहा कि लोग भले ही इस मोर्चे का मजाक उड़ाएं, लेकिन यह कड़वी सच्चाई है, कि राज्य में विवाह योग्य उम्र के युवाओं को सिर्फ इसलिए दुल्हन नहीं मिल रही है, क्योंकि राज्य में स्त्री-पुरुष का अनुपात बिगड़ा हुआ है।
लोगों ने राज्य में पुरुष-महिला अनुपात में सुधार के लिए गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम को लागू करने की भी मांग की।
परेड के बाद लोगों ने राज्य में पीसीपीएनडीटी अधिनियम को सख्ती से लागू करने की मांग को लेकर जिला कलेक्टर कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपा।