यूक्रेन संकट
मास्को ने डोनबास के लोगों को, खास तौर पर रूसी बोलनेवाली आबादी को, कीव के नित्य हमलों से बचाने के लिए फरवरी 2022 को विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था।

भारतीय पीएम ने कहा कि यूक्रेन संकट को राजनीतिक रूप से हल किया जाना चाहिए

© Twitter/@PMOIndiaPrime Minister Narendra Modi addressing the inaugural session of "Voice of Global South Summit"
Prime Minister Narendra Modi addressing the inaugural session of Voice of Global South Summit
 - Sputnik भारत, 1920, 25.02.2023
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मास्को (Sputnik) - भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि यूक्रेन संकट को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए और कि नई दिल्ली किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है।
25 से 26 फरवरी तक नई दिल्ली और बेंगलुरु की यात्रा के लिए भारत में पहुंचे जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "जब यूक्रेन में यह स्थिति शुरू हुई थी, उस समय से भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि विवाद को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि COVID-19 महामारी की तरह यूक्रेन संकट ने पूरी दुनिया पर प्रभाव डाला और विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए यह समय बहुत कठिन निकला।
उन्होंने कहा, "हमने इस पर अपनी साझा चिंता व्यक्त की है। हम इस बात पर सहमत हैं कि संयुक्त प्रयासों की मदद से ही इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। हम भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान भी इस पर जोर देते हैं।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जर्मनी इस बात पर सहमत हुए कि "बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार आवश्यक हैं ताकि वे विश्व में वास्तविक स्थिति को बेहतर रूप से दिखा सकें।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार लाने के लिए जी4 में हमारी सक्रिय भागीदारी से स्पष्ट है।"
ब्राजील और जापान के साथ भारत और जर्मनी जी4 देशों के समूह के सदस्य हैं, जिनका विकास स्तर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के विकास के बराबर है और जो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं।
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