इस यात्रा का वर्णन करते हुए बयान में कहा गया है कि "यात्रा का एक मुख्य उद्देश्य रूसी विशेषज्ञों को कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्कों का काम और तेंदुए की भूमि की फोटो मॉनिटरिंग, की डेटा के लिए सॉफ्टवेयर को बदलने के सिद्धांत समझाना था। उम्मीद है कि भारतीय विशेषज्ञों द्वारा बनाया गया यह नया सॉफ्टवेयर आनेवाले कुछ महीनों में तेंदुए की भूमि के वैज्ञानिक विभाग में काम करने लगेगा।"
इस बयान में बर्ड्यूक के हवाले से कहा गया है कि "हम यह ज़रूर कह सकते हैं कि भारत में दुर्लभ बिल्लियों पर शोध और उनकी संरक्षण का समृद्ध अनुभव अत्यंत मूल्यवान है, और "तेंदुए की भूमि" राष्ट्रीय उद्यान में इसके अनुसार काम किया जा सकता है। इसके अलावा, भारत के संरक्षित प्राकृतिक क्षेत्रों में संरक्षण और पर्यटन के संगठन के साथ परिचय ने नए मुद्दों को लेकर सहयोग करने के लिए एक नया रास्ता प्रसस्त कर दिया है।"