यह विवाद बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के नाम से विख्यात है, इस दौरान पूर्व पाकिस्तान- बांग्लादेश नाम का एक नया देश बन गया था।
इस मौके पर भारत परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट कर कहा: “16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान पर भारत की जीत को समर्पित ‘विजय दिवस’ की समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।”
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देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को इस सालगिरह की शुभकामनाएं भी दे दीं:
“विजय दिवस के मौके पर हम अपने देश के सैनिक बलों की हिम्मत व सौर्य का अभूतपूर्ण प्रदर्शन के लिए विनयपूर्ण कृतज्ञता अर्पण करते हैं। उनकी अनुपम बहादुरी और राष्ट्र के नाम पर आत्मबलिदान हर एक भारतीय को प्रेरित करता रहता था, रहता है और रहेगा”।
यह बड़ा सैन्य विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरा युद्ध माना जाता है। युद्ध 3 दिसंबर को शुरू होकर 13 दिनों तक चलता रहा और 16 दिसंबर को खत्म हुआ, जब 93,000 पाकिस्तानी सैनिक भारतीय और बांग्लादेशी सैनिकों के सामने घुटने टेके थे।
1970-1971 में पाकिस्तानी फ़ौज द्वारा किए अपराधों और अत्याचारों से बचने के लिए तत्कालीन पूर्व बंगाल से भारत में हजारों शरणार्थी आने लगे। उनकी संख्या करीब 1 करोड़ से ऊपर थी और पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, मेघालय जैसे पूर्वी प्रदेशों के सीमा पर पूर्व बंगाल से शरणार्थियों के लिए शरणार्थि केंद्र स्थापित किए गए थे। इस से भारतीय अर्थव्यवस्था के ऊपर भारी ही बोझ पड़ी थी क्योंकि वह अकाल और सामूहिक हत्याओं से भागनेवालों को खिलाने में सक्षम नहीं थी। इस समस्या को सुलझाने के लिए और देश को संकट में पड़ने से बचाने के लिए भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान से युद्ध की इजाजत दे दी थी।
युद्ध का आरंभ तब हुआ, जब पाकिस्तान 11 भारतीय वायुसेना स्टेशनों पर रिक्तिपूर्व हवाई हमला करना सुरू किया। लेकिन 13 दिनों के बाद हालत बदल चुके थे। पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका में समर्पण के बयान पर हस्ताक्षर किए थे। इस सैन्य अभियान के नतीजे में भारतीय सेना ने 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को कैदी बनाया, और पूर्व बंगाल के 7.50 करोड़ लोगों को अपना अलग देश बनाने का मौका दिया।