झारखंड में स्कूलों की स्थिति कोविड-19 के बाद बहुत दयनीय स्थिति में पहुंच चुकी है, यहां के स्कूल बुनियादी ढांचे, शिक्षकों और फंड की कमी से जूझ रहे हैं।
हाल के एक सर्वे के मुताबिक इन स्कूलों में शिक्षकों ने बताया है कि कोविड-19 महामारी के बाद से बंद रहे स्कूल जब फरवरी 2022 में खोले गए तो यहां के अधिकतर बच्चे पढ़ना और लिखना भूल गए है क्योंकि यहां के अधिकतर स्कूलों में बच्चों की मदद के लिए बहुत कम काम किया गया था।
समुदाय आधारित स्वयंसेवकों द्वारा संचालित एक सामाजिक संस्था ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड के इस सर्वेक्षण में लिए गए नमूनों में पाया कि केवल 53% प्राथमिक विद्यालयों और 19% उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र शिक्षक अनुपात 30 से कम था जैसा कि शिक्षा के अधिकार के अधिनियम के दौर के तहत निर्धारित है। यह सर्वेक्षण सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों पर केंद्रित है जहां कम से कम 50% नामांकित बच्चे अनुसूचित जाति व जनजाति से के परिवारों से आते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक 2020 से लेकर 2021 तक कोविड-19 के कारण शिक्षा पद्धति बुरी तरह प्रभावित हुई है, क्योंकि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय 2 साल के लिए पूरी तरह से बंद थे। यहां के स्कूल बाकी बचे विश्व में की तुलना में सबसे लंबे समय तक बंद थे।
वार्षिक सर्वेक्षण शिक्षा रिपोर्ट के अनुसार झारखंड उन राज्यों में से एक है जहां 8 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों में आधे बच्चे 2011 में एक साधारण पैराग्राफ पढ़ने में असमर्थ रहे थे।
हाल के एक सर्वे के मुताबिक इन स्कूलों में शिक्षकों ने बताया है कि कोविड-19 महामारी के बाद से बंद रहे स्कूल जब फरवरी 2022 में खोले गए तो यहां के अधिकतर बच्चे पढ़ना और लिखना भूल गए है क्योंकि यहां के अधिकतर स्कूलों में बच्चों की मदद के लिए बहुत कम काम किया गया था।
समुदाय आधारित स्वयंसेवकों द्वारा संचालित एक सामाजिक संस्था ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड के इस सर्वेक्षण में लिए गए नमूनों में पाया कि केवल 53% प्राथमिक विद्यालयों और 19% उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र शिक्षक अनुपात 30 से कम था जैसा कि शिक्षा के अधिकार के अधिनियम के दौर के तहत निर्धारित है। यह सर्वेक्षण सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों पर केंद्रित है जहां कम से कम 50% नामांकित बच्चे अनुसूचित जाति व जनजाति से के परिवारों से आते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक 2020 से लेकर 2021 तक कोविड-19 के कारण शिक्षा पद्धति बुरी तरह प्रभावित हुई है, क्योंकि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय 2 साल के लिए पूरी तरह से बंद थे। यहां के स्कूल बाकी बचे विश्व में की तुलना में सबसे लंबे समय तक बंद थे।
वार्षिक सर्वेक्षण शिक्षा रिपोर्ट के अनुसार झारखंड उन राज्यों में से एक है जहां 8 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों में आधे बच्चे 2011 में एक साधारण पैराग्राफ पढ़ने में असमर्थ रहे थे।