साल 1879 के बाद पहली बार गुजरात के बरदा वन्यजीव अभयारण्य में एक एशियाई शेर देखा गया है।
वन अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 1970 के दशक में विकसित बरदा वन्यजीव अभयारण्य अब मांसाहारियों के लिए अनुकूल है क्योंकि यहां की वनस्पति, शाकाहारी पशुओं की आबादी और पानी की उपलब्धता में सुधार हुआ है।
साल 2019 की जनगणना के अनुसार, गुजरात के कुल 674 एशियाई शेरों में से लगभग आधे की संख्या में शेर 1,412 वर्ग किलोमीटर में फैले गिर में रहते थे।
साल 2019 की जनगणना के अनुसार, गुजरात के कुल 674 एशियाई शेरों में से लगभग आधे की संख्या में शेर 1,412 वर्ग किलोमीटर में फैले गिर में रहते थे।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक नित्यानंद श्रीवास्तव ने इस बात की पुष्टि की कि शेर लगभग 144 साल बाद बरदा में देखा गया है। साथ ही उन्होंने कहा, "क्षेत्र की वनस्पति में सुधार हुआ है और पानी की उपलब्धता के साथ, बरदा मांसाहारियों के लिए एक अनुकूल स्थान है।”
गौरतलब है कि गिर राष्ट्रीय उद्यान में एशियाई शेरों की आबादी कमोबेश स्थिर हो गई है। राज्यसभा सदस्य परिमल नाथवानी, जो गिर राष्ट्रीय उद्यान की सलाहकार समिति के सदस्य हैं, ने कहा कि बरदा की पहाड़ियों और तटीय जंगलों के क्षेत्र को शेरों के संभावित स्थल के रूप में पहचान किया गया है।
बता दें कि कम आनुवांशिक विविधता के कारण इस प्रजाति पर महामारियों के कारण विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। इसके मद्देनजर गुजरात के भीतर और राज्य के बाहर एशियाई शेरों के लिए एक पुनर्वास स्थल खोजने के 1990 के दशक से प्रयास किए जा रहे थे।