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सिंधु जल संधि पर भारत ने पाकिस्तान को नोटिस थमाया

भारत और पाकिस्तान ने 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता (सिग्नेटरी) है।
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सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान की हठधर्मिता के कारण भारत ने संधि में संशोधन के लिए नोटिस जारी किया है, भारतीय मीडिया ने शुक्रवार को बताया।
भारत ने संबंधित आयुक्तों के माध्यम से 25 जनवरी को पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। पाकिस्तान को यह नोटिस 1960 की सिंधु जल संधि (IWT) के अनुच्छेद XII (3) के अनुसार जारी किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार का कहना है कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को नियमपूर्वक लागू करने में भारत समर्थक और जिम्मेदार भागीदार रहा है लेकिन पड़ोसी देश की कार्रवाइयों ने सिंधु संधि के प्रावधानों पर विपरीत प्रभाव डाला है।
दरअसल, साल 2015 में पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं पर अपनी तकनीकी आपत्तियों की जांच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए अनुरोध किया था। लेकिन वर्ष 2016 में, पाकिस्तान ने इस अनुरोध को वापस ले लिया और प्रस्तावित किया कि एक मध्यस्थ अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए।
सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की यह कार्रवाई सिंधु जल संधि (IWT) के अनुच्छेद IX का उल्लंघन है। इस वजह से भारत ने इस मामले को एक तटस्थ विशेषज्ञ के पास भेजने का अनुरोध किया।
साल 2016 में, विश्व बैंक ने दोनों देशों से एक सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने का आग्रह किया। हालाँकि, नई दिल्ली ने कहा कि इस्लामाबाद ने 2017 से 2022 तक स्थायी सिंधु आयोग की पांच बैठकों में इस मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार कर दिया।
अब भारत ने नोटिस के माध्यम से पाकिस्तान को IWT के उल्लंघन (मटेरियल ब्रीच) को सुधारने के लिए 90 दिनों में इंटर गवर्नमेंट नेगोशिएशन करने का मौका दिया है। यह पहली बार है जब भारत ने सिंधु जल समझौते में संशोधन की मांग की है।
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