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हिंद महासागर में खनिजों का खजाना भारत को आत्मनिर्भर बना सकता है: ISA प्रमुख

डीप ओशन मिशन भारत सरकार की समुद्री अर्थव्यवस्था की पहल का समर्थन करने के लिए एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है।
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अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण (ISA) के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि हिंद महासागर में विशाल खनिज भंडार भारत को निकेल और कोबाल्ट में आत्मनिर्भर बना सकता है।
दरअसल अधिकांश इलेक्ट्रिक वाहनों जोकि शून्य-उत्सर्जन ऑटोमोबाइल उद्योग में उपयोग की जाती है उसके लिथियम-आयन बैटरी में निकेल और कोबाल्ट बहुत महत्वपूर्ण तत्व है।
भारत सरकार के डीप ओशन मिशन प्रयासों की प्रशंसा करते हुए, ISA महासचिव माइकल डब्ल्यू लॉज ने भी विश्वास व्यक्त किया कि भारत गहरे समुद्र में खनन में एक वैश्विक अग्रणी देश बन सकता है।

"1980 के दशक से भारत गहरे समुद्र में खनन में सबसे पहले अग्रणी निवेशकों में से एक था। हाल के वर्षों में, बहुत अधिक प्रगति हुई है। डीप ओशन मिशन के तहत भारत की प्रगति अभूतपूर्व थी। भारत में गहरे समुद्र में खनिज अन्वेषण और दोहन में वैश्विक अग्रणी देश बनने की क्षमता है," लॉज ने कहा।

साथ ही, उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक, वैज्ञानिक और तकनीकी स्तर पर प्रतिबद्धता से "बेहद प्रोत्साहित" थे और भारत इस क्षेत्र में किसी भी अन्य देश के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकता है।
बता दें कि साल 2022 के दिसंबर महीने में दक्षिण में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया था कि समुद्रयान मिशन के तहत एक वाहन में तीन कर्मियों को समुद्र में छह हजार मीटर की गहराई में भेजा जाएगा, जहां वह गहरे समुद्री संसाधनों जैसे खनिजों का अन्वेषण करेंगे।
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