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भारत इस साल समुद्र में 500 मीटर नीचे मानवयुक्त समुद्रयान भेजेगा
भारत इस साल समुद्र में 500 मीटर नीचे मानवयुक्त समुद्रयान भेजेगा
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भारत इस वर्ष स्वदेश निर्मित पोत समुद्रयान में समुद्र के नीचे 500 मीटर की गहराई तक तीन खोजकर्ताओं को भेजेगा।
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भारत इस वर्ष स्वदेश निर्मित पोत समुद्रयान में समुद्र के नीचे 500 मीटर की गहराई तक तीन खोजकर्ताओं को भेजेगा। समुद्री मिशन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि चेन्नई में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी के इंजीनियरों ने स्टील के स्फेयर यान को पहले ही डिजाइन कर लिया है, जो एक्वानेट्स को उनकी यात्रा के लिए जगह देगा।हालांकि, समुद्रयान को 6,000 मीटर गहरे समुद्र में भेजने की योजना में देरी हो सकती है क्योंकि उन गहराई में दबाव झेलने में सक्षम टाइटेनियम की खरीद में कठिनाई हो सकती है, अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए भारतीय मीडिया को बताया। गौरतलब है कि स्टील का स्फेयर यान 500 मीटर की गहराई तक ही दवाब का सामना कर सकता है।दरअसल समुद्रयान बनाने के लिए पसंद की धातु के रूप में टाइटेनियम को चुना गया है लेकिन कोई भी देश इसे देने के लिए तैयार नहीं है। यूक्रेन संकट ने स्थिति को और खराब कर दिया है।बता दें कि समुद्र के नीचे भारत का यह पहला मिशन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) सहित कई संगठन इस मिशन में शामिल हैं। है। जून 2021 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा समुद्रयान मिशन को स्वीकार किया गया था। इस मिशन के तहत भारत लंबे समय तक समुद्र की गहराई में खोज करेगा और गूढ़ रहस्यों को उजागर करेगा।
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मानवयुक्त समुद्रयान ख़बरें, स्टील का स्फेयर यान, भारत का समुद्र मिशन, भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन
मानवयुक्त समुद्रयान ख़बरें, स्टील का स्फेयर यान, भारत का समुद्र मिशन, भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन
भारत इस साल समुद्र में 500 मीटर नीचे मानवयुक्त समुद्रयान भेजेगा
भारत से पहले रूस, अमेरिका, जापान, फ्रांस और चीन समुद्री मिशन को लांच कर चुके हैं। इस मिशन का उद्देश्य समुद्र की गहराई में अनुसंधान करना है।
भारत इस वर्ष स्वदेश निर्मित पोत समुद्रयान में समुद्र के नीचे 500 मीटर की गहराई तक तीन खोजकर्ताओं को भेजेगा।
समुद्री मिशन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि चेन्नई में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी के इंजीनियरों ने स्टील के स्फेयर यान को पहले ही डिजाइन कर लिया है, जो एक्वानेट्स को उनकी यात्रा के लिए जगह देगा।
हालांकि, समुद्रयान को 6,000 मीटर गहरे समुद्र में भेजने की योजना में देरी हो सकती है क्योंकि उन गहराई में दबाव झेलने में सक्षम टाइटेनियम की खरीद में कठिनाई हो सकती है, अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए भारतीय मीडिया को बताया। गौरतलब है कि स्टील का स्फेयर यान 500 मीटर की गहराई तक ही दवाब का सामना कर सकता है।
दरअसल समुद्रयान बनाने के लिए पसंद की धातु के रूप में टाइटेनियम को चुना गया है लेकिन कोई भी देश इसे देने के लिए तैयार नहीं है। यूक्रेन संकट ने स्थिति को और खराब कर दिया है।
बता दें कि समुद्र के नीचे भारत का यह पहला मिशन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) सहित कई संगठन इस मिशन में शामिल हैं। है। जून 2021 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा समुद्रयान मिशन को स्वीकार किया गया था। इस मिशन के तहत भारत लंबे समय तक समुद्र की गहराई में खोज करेगा और गूढ़ रहस्यों को उजागर करेगा।