भारतीय रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने कहा, "200 से अधिक ब्रह्मोस के इन सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को प्राप्त करने को लेकर भारतीय नौसेना की पेशकश उन्नत चरण में है और उम्मीद है कि रक्षा मंत्रालय जल्द ही उसको मान्यता देगा।"
इस मीडिया ने कहा कि मिसाइल रेंज को 290 से 400 से ज्यादा किलोमीटर तक बढ़ाने के बाद ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसके साथ इस कंपनी ने मिसाइलों में शामिल भारत में निर्मित चीजों की संख्या में वृद्धि की, और आनेवाले भविष्य में मिसाइल में भारत निर्मित मिसाइल गाइडन्स को शामिल करने की योजना है।
इससे पहले ब्रह्मोस के प्रबंध निदेशक अतुल दिनकर राणे ने Sputnik को बताया था कि ब्रह्मोस के पास 2025 तक ऑर्डर हैं, कंपनी को लगभग 4 अरब डॉलर के ऑर्डर मिले, और आनेवाले डेढ़ या दो वर्षों में उसे लगभग 3 अरब डॉलर के ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस की स्थापना 1998 में हुई थी और इसका नाम ब्रह्मपुत्र और मास्को नदियों के नामों से बनाया गया था। इस संयुक्त उद्यम में रूसी पक्ष का प्रतिनिधित्व NPO Mashinostroeniya द्वारा किया जाता है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों का लाभ और विशेषता यह है कि इनका प्रयोग थलसेना, नौसेना और वायुसेना सहित सेना के सभी कोरों द्वारा किया जा सकता है।