गोवा के जंगलों में पिछले नौ दिनों से लगी आग में दुर्लभ जैव विविधता यानी स्थानिक वृक्षों, पक्षियों और सरीसृप लगातार झुलस रही है।
आग बुझाने में राज्य प्रशासन की मदद कर रहे स्थानीय स्वयंसेवकों ने कहा कि सैकड़ों वर्षों में विकसित हुए पारिस्थितिक चक्र जलकर राख में बदल गए हैं।
“मैंने अपनी आंखों के सामने लगभग 100 साल पुराना पेड़ जलकर गिरते देखा। यह कहना गलत है कि ज़मीनी आग वनस्पतियों और जीवों को नुकसान नहीं पहुँचा सकती क्योंकि ज़्यादातर आग ज़मीनी आग के रूप में ही शुरू होती हैं," पर्यावरण संरक्षणवादी चंद्रकांत शिंदे ने कहा।
दरअसल गोवा के अधिकारियों द्वारा प्रदान की गई विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर पर्यावरण मंत्रालय ने कहा था कि जंगल की आग से पेड़-पौधों और जीवों को कोई बड़ी क्षति नहीं हुई है।
साथ ही शिंदे ने कहा कि अगर जड़ों को नुकसान होता है, तो पेड़ों के बचने का कोई रास्ता नहीं है। स्वयंसेवकों ने पेड़ों को बचाने के लिए जहां कहीं भी संभव था, उनके चारों ओर गड्ढे खोद दिए हैं।
इस बीच गोवा के वन मंत्री विश्वजीत राणे ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यालय गोवा के महादेई वन्यजीव अभयारण्य में लगी आग पर करीबी नजर रखे हुए है। आग पर काबू पाने के लिए वायु सेना और नौसेना के हेलिकॉप्टर तैनात किए गए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, प्रधानमंत्री कार्यालय ने उन्हें सूचित किया है कि इस मामले में रक्षा मंत्रालय पूरा सहयोग प्रदान करेगा।
बता दें कि गोवा के जंगल में लगी आग लगातार बढ़ती जा रही है और कई जीव इसकी चपेट में आ चुके हैं। भारतीय वायु सेना और नौसेना महादेई जंगल में लगी आग को बुझाने की लगातार कोशिश में जुटी हैं।