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भारतीय सेना, इसके देशी और विदेशी भागीदारों और प्रतिद्वन्द्वियों की गरमा गरम खबरें।

शून्य से कम तापमान में सैनिकों को गर्म रखने के लिए ग्रीन प्रोजेक्ट शुरू

भारतीय सेना द्वारा गश्त किए जाने वाले अधिकांश पहाड़ी इलाके डीजल-ईंधन वाले जनरेटर द्वारा संचालित होते हैं, जो जहरीले धुएं का उत्सर्जन करता है। भारत मेगा ग्रीन प्रोजेक्ट शुरू करेगा, जिससे देश के सैन्य अभियानों से कम कार्बन उत्सर्जन हो।
Sputnik
भारत अपने सैनिकों को ठंडी हिमालयी सीमाओं पर स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के लिए नवीकरणीय परियोजनाओं को स्थापित करने की योजना बना रहा है।
दरअसल राज्य द्वारा संचालित बिजली उत्पादक एनटीपीसी लिमिटेड ने भारतीय सेना के साथ सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के साथ-साथ ग्रीन हाइड्रोजन सिस्टम स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि सुरक्षा बलों को शून्य से नीचे के तापमान में गर्म रखा जा सके और उन क्षेत्रों में रोशनी की जा सके जहां पावर ग्रिड द्वारा सेवा नहीं दी जाती है।

"एनटीपीसी और सेना मिलकर उन परियोजनाओं की स्थापना के लिए साइटों की पहचान करेंगे, जो नई दिल्ली स्थित बिजली उत्पादक द्वारा निर्मित, स्वामित्व और संचालित होंगी," बिजली उत्पादक कंपनी ने कहा।

याद रहे कि पिछले कुछ वर्षों से चीन के साथ नई दिल्ली का सैन्य गतिरोध जारी है और भारत अपने उत्तरी पड़ोसी के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा की रक्षा के लिए हजारों सैनिकों, लड़ाकू विमानों और भारी उपकरणों को तैनात किया है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार लद्दाख की अक्षय ऊर्जा क्षमता को अनलॉक करने की योजना बना रही है, जो देश के पर्वतीय प्रांतों को स्वच्छ ऊर्जा से बिजली देने में मदद कर सकती है। देश ने 13 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा के परिवहन की उम्मीद करते हुए, इस क्षेत्र में पारेषण लाइनों का निर्माण करने की योजना बनाई है।
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