भारत-रूस संबंध
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भारत और रूस 'प्रौद्योगिक गुटनिरपेक्ष आंदोलन' का नेतृत्व कर सकते हैं

पिछले साल से भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुँच रहे हैं। रक्षा से लेकर अन्य क्षेत्रों तक भी दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ा है।
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बदलती भू-राजनीतिक स्थिति के समय सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच के विदेशी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में नई दिल्ली में ‘रूस-भारत व्यापार मंच: विकास और वृद्धि के लिए रणनीतिक साझेदारी’ आयोजित किया गया।
फोरम के दौरान आईटी, साइबर सुरक्षा, तकनीकी संप्रभुता, स्मार्ट सिटी, परिवहन, रसद और फार्मास्यूटिकल्स मुख्य विषय थे।
इस घटना के दौरान टेक्नलाजिकल साव्रिन्टी एक्स्पोर्टस एसोसिएशन के अध्यक्ष और मास्को स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन्स में एप्लाइड इंटरनेशनल एनालिसिस विभाग के प्रोफेसर अन्द्रेय बेज़रूकोव ने Sputnik से उसके बारे में बात की कि भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी ने पूरी दुनिया को और दोनों देशों के बीच तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग को मदद कैसे दी है।
Sputnik: भारत-रूस व्यापार मंच विशेष रूप से प्रौद्योगिक क्षेत्र में विकास और वृद्धि के लिए देशों की रणनीतिक साझेदारी से संबंधित है। प्रौद्योगिक क्षेत्र में सहयोग करना रूस और भारत के लिए क्यों फायदेमंद है? दोनों देश एक दूसरे को क्या दे सकते हैं?
बेज़रूकोव: देखिए, अगर आप अभी प्रौद्योगिक क्षेत्र पर ध्यान देंगे, तो इसमें या तो पश्चिमी या चीनी कंपनियों का दबदबा है। तो उन कंपनियों के अपने नियम हैं और वे उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर उनका दबाव डाल करती हैं। रूस या भारत जैसे देशों के लिए किसी और के नियमों के अनुसार खेलना कभी अच्छा नहीं होता है, क्योंकि अगर आप किसी और के नियमों के अनुसार खेलते हैं, तो आपको जरूर हार मिलती है।
इसलिए मुझे लगता है कि आज की दुनिया में, यह भारत और रूस के लिए न केवल उन दो देशों के साथ, बल्कि अन्य देशों के साथ एक साथ काम करने का समय है, जो ऐसे नए नियम बनाना चाहते हैं जिन से पश्चिम या चीन को ही नहीं, सभी को लाभ मिलेगा।
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ऐसी परियोजना में, तकनीकी क्षेत्र में, किसी न किसी को नेतृत्व करना होगा और मेरा मानना है कि रूस और भारत ऐसे देश हैं जो दो कारणों से नेतृत्व कर सकते हैं। सबसे पहले, वे बड़े खिलाड़ी हैं, और केवल बड़े खिलाड़ी नेतृत्व भी कर सकते हैं। दूसरी और, वे अपनी भूमिका को समझते हैं और हर किसी को इकट्ठा करने और जोखिम उठाने में सक्षम हैं। इसके साथ वे "प्रौद्योगिक गुटनिरपेक्ष आंदोलन" बना सकते हैं, जहां हम किसी गुट का हिस्सा नहीं हैं, किसी पर और बाकी दुनिया पर किसी नियम का दबाव डालने की कोशिश नहीं करते हैं। इसके विपरीत हम हर किसी की बात सुनते हैं और व्यावसायिक स्थान या प्रौद्योगिकी स्थान बनाते हैं जो समावेशी होता है, जिसके खुले नियम होते हैं और जहां प्लेटफार्मों को सहकारी तरीके से बनाकर लोग उनका दबाव किसी पर नहीं डालते हैं।
Sputnik: अगर रूस और भारत प्रौद्योगिक क्षेत्र में एकजुट होकर साथ-साथ काम करेंगे, तो सहयोग के होनहार क्षेत्र क्या हैं? वे कुछ संयुक्त समाधान क्या हैं जिनको वे दुनिया को दे सकते हैं?
बेज़रूकोव: ऐसे कई प्रमुख क्षेत्र हैं जिन में भारत और रूस को मिलकर काम शुरू करना चाहिए। सबसे पहले, उन सब कुछ क्षेत्रों में काम शुरू करना चाहिए, जो वित्त से संबंधित हैं, क्योंकि अभी [...] पश्चिम में एक अरब लोग रहते हैं और पूर्व और दक्षिण में 7 अरब लोग रहते हैं। वे 7 अरब लोग पश्चिम द्वारा और पश्चिम के लिए बनाए गए वित्तीय नियमों के अनुसार रहते हैं।

तो अभी रूस और भारत नई वित्तीय प्रणालियां बनाने के लिए जिम्मेदार हैं, जो ज्यादा आसान, तेज, बेहतर, अधिक सुरक्षित होंगी, क्योंकि वे नयी होंगी, वे अतीत से और कागजी वातावरण से संबंधित नहीं होंगी, वे डिजिटल, सुरक्षित होंगी।

दूसरा क्षेत्र वैश्विक रसद है जहां हमारे पास ऐसी प्रौद्योगिकियां बनाने की संभावना है जो रसद, वित्तीय, परिवहन आदि जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों से जुड़ेंगी और बड़े यूरेशिया में, भारत और रूस के आसपास, उनके बीच आदि, उन गलियारों सहित सहज वातावरण तैयार करेंगी, जो मध्य एशिया, ईरान और आसियान से होकर जाते हैं।
मेरा मानना है कि तीसरा क्षेत्र स्मार्ट सिटी है, क्योंकि अब भारत, रूस और बाकी दुनिया स्मार्ट सिटीज का निर्माण कर रहे हैं। लेकिन वे यह योजना के बिना कर रहे हैं, सुरक्षा का कोई मानक नहीं है। अभी मानक और सुरक्षित उपाय की कमी के कारण स्मार्ट सिटीज का निर्माण बाधित है। इसलिए, अगर भारत और रूस एकजुट होकर संबंधों और सुरक्षा के मामले में स्मार्ट सिटीज के लिए नए मानक स्थापित करेंगे, तो हम व्यापार का एक बड़ा अवसर बना सकते हैं।
Sputnik: हम दोनों स्मार्ट सिटीज पर चर्चा में शामिल थे। आपके विचार में रूस भारत के स्मार्ट सिटी मिशन में क्या भूमिका निभा सकता है?
बेज़रूकोव: सबसे पहले, अभी रूस और विशेष रूप से मास्को शायद सबसे अच्छा उदाहरण हैं कि आप शहरों को स्मार्ट कैसे बना सकते हैं, क्योंकि मास्को में कुछ अनूठे चीजें हैं जो दुनिया में कहीं नहीं मिलती हैं। तो, यह पहला उदाहरण है।
रूस के योगदान के बारे में बात करते हुए, वह व्यवस्थित उपाय और सुरक्षा में योगदान दे सकता है। इस साल, यूक्रेन संकट की शुरुआत के बाद रूसी व्यवसायों, सरकारी साइटों और प्रणालियों पर रोज हर तरफ से हमले किए जाते हैं। सब हमलों के बावजूद वे स्थिर हैं, उन्हें कुछ नहीं हुआ। इसका मतलब है कि रूसी साइबर सुरक्षा बहुत अच्छी तरह काम करती है। रूसी साइबर सुरक्षा का पारंपरिक रूप से एक बहुत अच्छा व्यवस्थित उपाय था। इसलिए हम निश्चित रूप से स्मार्ट सिटीज को सुरक्षित करने में योगदान दे सकते हैं।
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इसके अलावा, मुझे लगता है कि अगर भारतीय और रूसी व्यवसाय साथ-साथ काम करेंगे तो उन्हें पैमाने और व्यापक संभावनाओं के संदर्भ में लाभ मिलेगा क्योंकि भारत में आईटी उद्योग बढ़ रहा है और रूस में आईटी में काम करने वाले बहुत अच्छे लोग हैं। इसलिए, मुझे लगता है कि यह दोनों देशों के लिए बहुत अच्छा है।
Sputnik: भारत का अधिकांश आईटी निर्यात पश्चिम में जाता है। कुछ समय पहले रूस में स्थिति ऐसी ही थी। तो क्या कोई सबक है जो भारत रूस के अनुभव से सीख सकता है? पश्चिम पर अत्यधिक निर्भर करने में क्या जोखिम है?
बेज़रूकोव: ठीक है, आपने जो उल्लेख किया है वह वैश्विक प्रणालियों के निर्माण का परिणाम है। यह भारत, रूस और कई अन्य देशों के लिए पश्चिम के आसपास केंद्रित था। लेकिन अगर आप दक्षिण की ओर देखें तो व्यापार विकसित हो रहा है। अब हम जानते हैं कि कुछ वर्षों बाद मुख्य व्यापार और वित्तीय प्रवाह पश्चिम की ओर नहीं जाएगा।
पश्चिम की वृद्धि कम हो रही है, पूर्व की वृद्धि बढ़ रही है, और रूस की वृद्धि भी बढ़ेगी क्योंकि हमने आर्थिक प्रणाली को बदल दिया है। हम आत्मनिर्भर बन गए हैं। अब रूस में विकास होगा। इसलिए रूसी बाजार भारतीय व्यवसायों के लिए पहले से अधिक खुले होंगे और भारतीय व्यवसायों को रूस में बहुत भागीदार और संसाधन मिल सकते हैं। मुझे लगता है कि इस मामले में हमारा सहयोग बहुत फायदेमंद है, इसका शानदार भविष्य है।
Sputnik: फोरम में एक सत्र के दौरान साइबर युद्ध पर चर्चा हुई। क्या यह रूस और भारत के लिए साझा खतरा है? अगर यह सही है, तो दोनों देश इसे हटाने के लिए मिलकर काम कैसे कर सकते हैं?
बेज़रूकोव: साइबर सुरक्षा किसी भी देश के लिए महत्वपूर्ण विषय है, खासकर जब आप आधुनिक आईटी संरचना बनाते हैं। कुछ और करने से पहले आपकी पहली प्रतिबद्धता यह सुनिश्चित करना है कि सब कुछ सुरक्षित है। क्या आप वह कल्पना कर सकते हैं कि आप स्मार्ट सिटी को बंद कर सकते हैं? यह आपदा है, ना? इसलिए आपको यह सुनिश्चित करना है कि आप वर्चुअल स्पेस में जो भी क्यों न बनाते हों, उसे ठीक से संरक्षित करना चाहिए। यह नए मानकों के विकास के माध्यम से किया जा सकता है। आपको जरूर नए मानक साझा करना चाहिए। उनका प्रयोग एक देश में करना असंभव है क्योंकि व्यवसाय वैश्विक हैं। प्रवाह वैश्विक हैं।
रूसी और भारतीय व्यवसायों को एक साथ काम करना चाहिए। देशों और नियामक निकायों को एकजुट होकर नए साइबर सुरक्षा कोड, संबंधों के नए नियमों, सुरक्षा और व्यापार में बातचीत, व्यवसायों के डिजिटल परिवर्तन, उन प्रणालियों के विकास सहित प्रमुख क्षेत्रों पर काम करना चाहिए जो व्यवसायों आदि के क्षेत्र में वर्चुअल सिस्टम से संबंधित हैं।
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