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भारत, रूस और चीन को एक ही मुद्रा बनानी चाहिए: रूसी मंत्री
भारत, रूस और चीन को एक ही मुद्रा बनानी चाहिए: रूसी मंत्री
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रूसी संघ के संघीय विधानसभा के राज्य ड्यूमा के उपाध्यक्ष अलेक्जेंडर बाबाकोव ने कहा कि भारत, रूस और चीन को एक नई सामान्य मुद्रा के साथ एक नया वित्तीय संबंध बनाना चाहिए।
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रूसी संघ के संघीय विधानसभा के राज्य ड्यूमा के उपाध्यक्ष अलेक्जेंडर बाबाकोव ने कहा कि भारत, रूस और चीन को एक नई सामान्य मुद्रा के साथ एक नया वित्तीय संबंध बनाना चाहिए। यह मुद्रा, डिजिटल रूबल, रुपया या युआन हो सकता है।दरअसल यह विचार उन्होंने बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित रूसी-भारतीय बिज़नेस फोरम:"स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फॉर डेवलपमेंट एंड ग्रोथ" में व्यक्त की है।साथ ही उन्होंने कहा, डॉलर और यूरो "निवेश मुद्राएँ हैं" जो पश्चिम द्वारा लिखे गए नियमों के हिसाब से अपना कार्य करती हैं। और ये नियम रूस, भारत या चीन को समान भागीदार नहीं मानते हैं।बता दें कि 29 से 30 मार्च को नई दिल्ली में रूसी-भारतीय व्यापार मंच आयोजित किया जा रहा है। यह सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच की विदेशी आयोजन के हिस्से के रूप में आयोजित किया जाता है। नई दिल्ली में बैठक का उद्देश्य भारतीय-रूसी व्यापार संबंधों को मजबूत करना और भारतीय बाजार में रूसी कंपनियों के प्रवेश का समर्थन करना है।
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आपसी मुद्राओं में कारोबार, नया वित्तीय संबंध, नई सामान्य मुद्रा, बहुध्रुवीय दुनिया का निर्माण,
आपसी मुद्राओं में कारोबार, नया वित्तीय संबंध, नई सामान्य मुद्रा, बहुध्रुवीय दुनिया का निर्माण,
भारत, रूस और चीन को एक ही मुद्रा बनानी चाहिए: रूसी मंत्री
20:00 29.03.2023 (अपडेटेड: 17:22 30.03.2023) दुनिया के कई बड़े देश डॉलर से अपने कारोबार को अलग करने की दिशा में आगे बढ़ गए हैं। आर्थिक जानकारों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय कारोबार में डॉलर के वर्चस्व को खत्म करने की कोशिश में भारत, रूस और चीन सहित अनेक प्रमुख देश अलग-अलग देशों के साथ आपसी मुद्राओं में कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं।
रूसी संघ के संघीय विधानसभा के राज्य ड्यूमा के उपाध्यक्ष अलेक्जेंडर बाबाकोव ने कहा कि भारत, रूस और चीन को एक नई सामान्य मुद्रा के साथ एक नया वित्तीय संबंध बनाना चाहिए। यह मुद्रा, डिजिटल रूबल, रुपया या युआन हो सकता है।
दरअसल यह विचार उन्होंने बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित रूसी-भारतीय बिज़नेस फोरम:"स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फॉर डेवलपमेंट एंड ग्रोथ" में व्यक्त की है।
"भारत, रूस, चीन वे देश हैं जो आज एक बहुध्रुवीय दुनिया का निर्माण करते हैं, जो कि अधिकांश देशों द्वारा समर्थित है। इसका निर्माण नए वित्तीय संबंधों के गठन पर आधारित होना चाहिए, जो एक ऐसे तंत्र पर आधारित होगा जो डॉलर और यूरो की रक्षा नहीं करता है, बल्कि एक ऐसी नई मुद्रा बनाता है जो हमारे मिशन को पूरा करने की अनुमति देता है," बाबाकोव ने कहा।
साथ ही उन्होंने कहा, डॉलर और यूरो "निवेश मुद्राएँ हैं" जो पश्चिम द्वारा लिखे गए नियमों के हिसाब से अपना कार्य करती हैं। और ये नियम रूस, भारत या चीन को समान भागीदार नहीं मानते हैं।
"हमारी प्राथमिकता वित्तीय क्षेत्र में नए नियम लिखना है जो पहले से ही सामान्य मुद्रा के उपयोग की अनुमति देंगे। चाहे वह डिजिटल रूबल हो, डिजिटल रुपया हो, डिजिटल युआन हो या कोई नई मुद्रा हो, यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि यह मुद्रा हमारे देशों के नियमों के अनुसार चले," बाबाकोव ने कहा।
बता दें कि 29 से 30 मार्च को नई दिल्ली में रूसी-भारतीय व्यापार मंच आयोजित किया जा रहा है। यह सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच की विदेशी आयोजन के हिस्से के रूप में आयोजित किया जाता है। नई दिल्ली में बैठक का उद्देश्य
भारतीय-रूसी व्यापार संबंधों को मजबूत करना और भारतीय बाजार में रूसी कंपनियों के प्रवेश का समर्थन करना है।