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तय समय से भी एक साल पहले सबसे शक्तिशाली वैज्ञानिक परमाणु रिएक्टर बनाने का रोसाटॉम का इरादा

मास्को (Sputnik) – रोसाटॉम ने 2026 में यानी तय समय से एक साल पहले ही दुनिया के सबसे शक्तिशाली बहुउद्देश्यीय द्रुत न्यूट्रॉन अनुसंधान परमाणु रिएक्टर एमबीर के निर्माण को पूरा करने की योजना बनाई है, इसे परमाणु राज्य निगम की प्रेस सेवा ने बताया।
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150 मेगावाट की थर्मल क्षमता वाला एमबीर रिएक्टर रूस के उल्यानोव्स्क क्षेत्र में दिमित्रोवग्राद शहर में रोसाटॉम के परमाणु रिएक्टरों के अनुसंधान संस्थान के क्षेत्र में बनाया जा रहा है। योजना के अनुसार यह रिएक्टर 2025 से 2030 तक लागू किया जाएगा। उम्मीद है कि एमबीर आने वाली आधी सदी तक परमाणु उद्योग को आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत अनुसंधान संरचना प्रदान करेगा।

"अब 1,300 से अधिक श्रमिक और इंजीनियर निर्माण के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। 2026 में तय समय से एक साल पहले ही निर्माण को पूरा करने की योजना है," एक संदेश में लिखा गया है, जो “रूसी संघ में परमाणु ऊर्जा के उपयोग के क्षेत्र में तकनीक, प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक अनुसंधान का विकास” नामक कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 2022 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए समर्पित है।

2021 में रूस में शुरू किए गए उन्नत अनुसंधान के कार्यक्रम के आधार पर, अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान कार्यक्रम को बनाया जा रहा है। इस उद्देश्य के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र एमबीर की स्थापना की गई थी, जिसमें परमाणु उद्योग के प्रमुख रूसी और विदेशी विशेषज्ञ शामिल हैं। जुलाई 2022 में इसकी पहली बैठक में परमाणु अनुसंधान के रूसी संयुक्त संस्थान, अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण के अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के और भारत, रूस, चीन, कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, वियतनाम, अल्जीरिया और आर्मेनिया के 13 से अधिक प्रमुख वैज्ञानिक केंद्रों के 56 वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और निर्देशकों ने व्यक्तिगत और ऑनलाइन रूप से भाग लिया।
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एमबीर रिएक्टर की तकनीकी विशेषताएं नए प्रतिस्पर्धा और सुरक्षित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण के संदर्भ में अनुसंधान कई समस्याओं को हल कर देती हैं। नए रिएक्टर की मदद से अनुसंधान का समय कई गुना कम हो जाएगा।
एमबीर रिएक्टर, रूसी कुरचटोव संस्थान में पीक रिएक्टर (हाई-फ्लक्स न्यूट्रॉनों का साधन) और परमाणु अनुसंधान के रूसी संयुक्त संस्थान में न्यूट्रॉनों के नये साधन जैसी सुविधाएं बनाकर रूस विस्व का एकमात्र वैसा देश बन जाएगा, जहां उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए विभिन्न प्रकार के न्यूट्रॉन साधन उपलब्ध होंगे।
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