राजनीति
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पंजाब राजनीति के पुरोधा प्रकाश सिंह बादल का निधन, भारत में दो दिन का राजकीय शोक घोषित

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन के मौके पर भारत सरकार ने 26 और 27 अप्रैल, 2023 को पूरे भारत में दो दिनों का राजकीय शोक घोषित किया।
Sputnik
भारत में पंजाब राज्य के पांच बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
भारतीय मीडिया के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दोपहर 12 बजे शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल को अंतिम श्रद्धांजलि देने दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ पहुंचेंगे।
20 साल की उम्र में बादल गांव के सरपंच, 30 की उम्र में विधायक, 43 साल की उम्र में मुख्यमंत्री और आजादी से पहले जन्म लेने वाले आखिरी बचे राजनीतिज्ञ प्रकाश सिंह बादल ने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां उन्हें सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद 16 अप्रैल को भर्ती कराया गया था।

"गहरे दुख के साथ हम 5 बार के सीएम और शिअद संरक्षक एस प्रकाश सिंह जी बादल के निधन की सूचना देते हैं। पार्थिव शरीर को अंतिम सम्मान देने के लिए चंडीगढ़ में शिरोमणि अकाली दल (SAD) कार्यालय में सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक रखा जाएगा, जिसके बाद उन्हें बादल गांव ले जाया जाएगा। दाह संस्कार 27 अप्रैल को होगा," SAD ने एक ट्वीट में कहा।

उनके दो बच्चे है जिनमे से एक सुखबीर सिंह बादल जो उनकी राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी हैं और बेटी परनीत कौर हैं।

राजनीतिक सफर

प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को पंजाब के मलोट के पास अबुल खुराना में हुआ था। इसके बाद उन्होंने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक किया। उनका राजनीति में पदार्पण बादल गांव के सरपंच और ब्लॉक समिति के अध्यक्ष के रूप में हुआ और इसके बाद उन्होंने 1957 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में मलोट से राज्य विधानसभा में पहली बार प्रवेश किया।
इस के बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और देखते ही देखते बादल पहली बार 1970 में मुख्यमंत्री बने जहां उन्होंने एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई, हालांकि इसके बाद वह 1977-80, 1997-2002, 2007-12 और 2012-2017 के दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भी रहे।
2017 में, जब उन्होंने सीएम के रूप में अपना आखिरी कार्यकाल समाप्त किया, तो वह उस पद को संभालने वाले सबसे उम्रदराज लोगों में से थे। उनकी पार्टी ने 2020 में केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को लेकर भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ लिया, उन्होंने 2015 में मिला पद्म विभूषण पुरस्कार भी लौटा दिया। बादल की पत्नी सुरिंदर कौर बादल की 2011 में कैंसर से मौत हो गई थी।
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