Explainers
पेचीदा कहानियाँ सुर्खियां बटोरती हैं लेकिन कभी कभी वे समझने के लिए मुश्किल और समय बर्बाद करनेवाले हो सकते हैं, और समय का मतलब पैसा है, तो आइए हमारे साथ अपना पैसा और समय बचाइए। दुनिया के बारे में हमारे साथ जानें।

भाजपा स्थापना दिवस: दो सीटों से सत्ता के शिखर तक की अद्भुत यात्रा

© AP Photo / R S IyerBharatiya Janata Party (BJP) flags are displayed at a street inhabited by members of the Telugu Chetti community in Thiruvanathapuram, Kerala state, India, Saturday, April 3, 2021.
Bharatiya Janata Party (BJP) flags are displayed at a street inhabited by members of the Telugu Chetti community in Thiruvanathapuram, Kerala state, India, Saturday, April 3, 2021. - Sputnik भारत, 1920, 06.04.2023
सब्सक्राइब करें
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 6 अप्रैल को अपना 44वां स्थापना दिवस बड़े ही जोश और उत्साह से मना रही है। दो सीटों से पार्टी के सफर की शुरुआत हुई और वर्तमान में पार्टी के सांसदों की संख्या 300 के पार है।
मिली जानकारी के अनुसार इस अवसर पर 10 लाख से ज्यादा जगहों पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। इस दौरान गरीब, शोषित, वंचित, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों की चर्चा की जानी है।
दुनिया की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी की 44वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बीजेपी देश के मुख्य सेवक की भूमिका में है।

भाजपा का गठन

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गठन आधिकारिक तौर पर 6 अप्रैल, 1980 को किया गया था। हालांकि, इसकी वैचारिक उत्पत्ति वर्ष 1951 में देखी जा सकती है, जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस पार्टी से खुद को अलग कर लिया और भारतीय जनसंघ (बीजेएस) का गठन किया।
हालांकि, शुरुआत में बीजेएस को चुनावी सफलता नहीं मिली। साल 1952 के लोकसभा चुनाव में बीजेएस सिर्फ तीन लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सकी। साल 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान बीजेएस के कई नेताओं को विरोध करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। दो साल बाद आपातकाल खत्म होने के पश्चात बीजेएस ने कई अन्य छोटे क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर जनता पार्टी नाम से नए दल का गठन किया। जनता पार्टी ने 1977 के लोकसभा चुनाव में सफलता का स्वाद चखा और मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनाकर केंद्र में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनाने में सफलता हासिल की।
हालांकि, साल 1980 में पार्टी के भीतर अंदरूनी विवाद की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को इस्तीफा देने के लिए विवश होना पड़ा और फिर से मध्यावधि नए चुनाव हुए। जनता पार्टी 1980 में भंग हो गई और इसके सदस्यों ने मिलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गठन किया और अटल बिहारी वाजपेयी नई पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष चुने गए। यहीं से भाजपा का प्रथम शुरुआत हुई ।

भाजपा को सिर्फ दो सीटें मिलीं

वर्ष 1984 में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गई। कांग्रेस ने शीघ्र चुनाव कराने का फैसला लिया और चुनाव आयोग ने इसकी घोषणा कर दी । साल 1984 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भारतीय जनता पार्टी 'कमल का फूल' चुनाव चिह्न के साथ मैदान में उतरी। लेकिन इंदिरा की मौत की सहानभूति लहर पर सवार कांग्रेस पार्टी को भारी जीत मिली और भाजपा को सिर्फ दो सीटों से संतोष होना पड़ा।
इसके बाद वर्ष 1989 में नौवीं लोकसभा चुनाव में भाजपा के 85 सीटों पर जीत मिलने से पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह जगा।
इसी बीच बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच साल 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ। और पार्टी ने इस पर आक्रामक रुख अपनाया। इस आंदोलन के बाद बीजेपी के पक्ष में माहौल बना। किंतु इस दौर में भी पार्टी का प्रभाव बहुत हद तक हिंदी भाषी क्षेत्रों तक ही सीमित रहा, लेकिन चुनाव में पार्टी के विजयी सीटों का ग्राफ बढ़ता रहा।
हालांकि पार्टी अब भी सत्ता से दूर थी लेकिन वह वक्त जल्द ही आने वाला था।

पहली बार सत्ता के शीर्ष पर विराजमान

साल 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 161 सीटों पर जीत मिलीं और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार बनाने का दावा किया गया। भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि उनकी सरकार संसद में बहुमत सिद्ध नहीं कर सकी और 13 दिन में ही सरकार गिर गई। भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री का यह सबसे छोटा कार्यकाल था।

सत्ता में वापसी और परमाणु परीक्षण

साल 1998 में जब देश में मध्यावधि चुनाव हुए एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सत्ता में दुबारा लौटी। अटल बिहारी जब दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तो उनको 13 महीने के बाद इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उनके पास सरकार में बने रहने के लिए बहुमत नहीं था यानी सरकार अल्पमत में आ गई थी।
तत्पश्चात एक बार फिर जब चुनाव हुए तो एनडीए की पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी हुई। एक बार फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार ने कामकाज संभाला ही था। ऐसे में 11 और 13 मई को भारत ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया कि पूरी दुनिया दंग रह गई थी। राजस्थान की पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में सफलतापूर्वक कुल पांच परमाणु परीक्षण किए गए जिसकी धमक ने वैश्विक परिदृश्य में भारत को नए क्षितिज पर पहुंचा दिया।
इस बार पहली बार भाजपा के नेतृत्व में पांच साल तक गैर कांग्रेसी सरकार चली। लेकिन साल 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और भाजपा सत्ता से बाहर हो गई।

नरेंद्र मोदी युग का आगाज

साल 2004 से दस साल तक भारतीय जनता पार्टी सत्ता से दूर रही। उसके बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पहली बार अपने बूते पूर्ण बहुमत हासिल हुआ, पार्टी को 282 सीटों पर जीत मिली। इस जीत के नायक थे नरेंद्र दामोदर दास मोदी। चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने।
A garland presented to Indian Prime Minister Narendra Modi  - Sputnik भारत, 1920, 03.04.2023
विश्व
सबसे लोकप्रिय वैश्विक नेताओं की सूची में शीर्ष पर पीएम मोदी: सर्वे
भाजपा ने हिंदुत्व के अपने कोर एजेंडे के साथ-साथ सामाजिक न्याय के एजेंडे को साथ में शामिल कर लिया है।

गरीब कल्याण योजना

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज का वितरण सरकार द्वारा जन वितरण प्रणाली के माध्यम से किया जा रहा है।

उज्ज्वला योजना

इस योजना के माध्यम से मोदी सरकार ने उन महिलाओं के दुखः समाप्त करने का प्रयास किया जिनके घरों में गैस कनेक्शन नहीं था और जिन्हें खाना बनाने के लिए प्रतिदिन समस्याओं का सामना करना पड़ता था। ऐसे परिवारों के लिए ये योजना वरदान साबित हुई और राशन कार्ड वाले लोगों को फ्री में गैस सिलेंडर दिया जाता है। इस योजना के बाद महिलाओं का पीएम मोदी पर भरोसा और भी बढ़ गया है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक - आत्मनिर्भर भारत नामक अभियान - का लक्ष्य भारत को चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने, कृषि जैसे क्षेत्रों में देश को आत्मनिर्भर बनाना है। इस से भारत न सिर्फ विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन सके बल्कि बड़े स्तर पर निर्यात भी करने में सक्षम हो।

देश की सत्ता की कमान और 16 क्षेत्रों में भाजपा की सरकार

अपने पहले चुनाव में सिर्फ दो सीटें जीतने वाली भाजपा की साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 303 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। आज देश की सत्ता की बागडोर के साथ भारत के 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बीजेपी की सरकार है और पार्टी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयार है।
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала