रूसी विदेश मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और उनके रूसी समकक्ष सर्गे लवरोव अंतरराष्ट्रीय संबंधों की एक अधिक न्यायसंगत और बहुध्रुवीय प्रणाली के निर्माण में आगे सहयोग करने पर सहमत हुए।
दोनों मंत्रियों ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO ), BRICS , संयुक्त राष्ट्र (UN ) और G20 जैसे बहुपक्षीय मंचों पर समन्वित प्रयासों को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की।
बहुध्रुवीयता की ओर हाथ में हाथ मिलाकर
पिछले हफ्ते SCO के रक्षा मंत्रियों की बैठक में रूसी रक्षा प्रमुख सर्गेई शोइगु ने अपने समकक्ष से कहा कि नई बहुध्रुवीय दुनिया का निर्माण "तेज, गतिशील और अपरिवर्तनीय परिवर्तन" से संबंधित है, जिसका विरोध अमेरिका और उसके सहयोगी कर रहे हैं, लेकिन वे इस में सफल नहीं हैं।
इस संबंध में SCO एक वैकल्पिक प्रारूप का अवसर प्रदान करता है, जिसके संदर्भ में यूरेशिया में (और इससे भी व्यापक रूप से, ईरान के संगठन में शामिल होने के संबंध में) गैर-पश्चिमी देशों की इच्छाओं को पर्याप्त रूप से पूरा किया जा सकता है।
फरवरी में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके रूसी समकक्ष निकोलाई पेत्रुशेव की मुलाकात के दौरान भारत ने बहुपक्षीयता को लेकर रूस का समर्थन करने का वादा किया था।
बहुध्रुवीय अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को बढ़ावा देने के समर्थन में बहुत राज्यों ने आवाज उठाई है और पिछले महीनों में यह समर्थन बढ़ गया है। अब ग्लोबल साउथ के देश अमेरिकी दबाव और निरंतर आर्थिक "ब्लैकमेल" को हटाना चाहते हैं।
इस संदर्भ में SCO देश रूसी तेल पर मूल्य सीमा से इनकार करके, राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देकर और सभी क्षेत्रों में मास्को के साथ सहयोग बढ़ाकर अमेरिकी आधिपत्य का मुकाबला करने का बहुत अच्छा उदाहरण हो सकते हैं।