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भारत बहुध्रुवीय दुनिया का पक्षधर है: SCO बैठक से पहले विशेषज्ञ
भारत बहुध्रुवीय दुनिया का पक्षधर है: SCO बैठक से पहले विशेषज्ञ
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शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद गोवा में इस संगठन में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों की दो दिवसनीय बैठक कल शुरू होने वाली है।
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शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद गोवा में इस संगठन में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों की दो दिवसनीय बैठक कल शुरू होने वाली है। इस बैठक के मौके पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर गुरुवार को गोवा में रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव और चीनी विदेश मंत्री किन गैंग के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने वाले हैं।शंघाई सहयोग संगठन में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों की इस बैठक से पहले Sputnik ने कई विशेषज्ञों से बात की जिन्होंने इस बैठक के महत्त्व, एस. जयशंकर और किन गैंग की आने वाली मुलाकात और पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारतीय यात्रा को लेकर अपनी राय को साझा किया। भारतीय अध्यक्षता के संदर्भ में SCO की बैठक का महत्त्व भारत अब शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता करता है। Sputnik ने विशेषज्ञों से पूछा कि भारतीय अध्यक्षता के संदर्भ में SCO के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की इस बैठक का महत्त्व क्या है।जर्मनी, इंडोनेशिया, इथियोपिया, आसियान और अफ्रीकी संघ में भारत के पूर्व राजदूत गुरजीत सिंह ने वह भी कहा कि SCO में भारतीय अध्यक्षता बहुत महत्तपूर्ण है। एस. जयशंकर और किन गैंग की आने वाली मुलाकातपूर्वी लद्दाख में शेष सीमा मुद्दों के समाधान पर ध्यान देने के लिए इस बैठक के मौके पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर गुरुवार को चीनी विदेश मंत्री किन गैंग के साथ द्विपक्षीय बैठक करने वाले हैं। इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या SCO अपने सदस्य देशों को और विशेष रूप से भारत और चीन को सीमा मुद्दों को सुलझाने में मदद देने में सक्षम है, डॉ. अनुराधा चिनॉय ने कहा कि चीनी विदेश मंत्री किन गैंग की भारतीय यात्रा भारत के लिए महत्वपूर्ण कदम है।सदस्य देशों को सीमा मुद्दों को सुलझाने में SCO की मदद पर ध्यान देते हुए गुरजीत सिंह ने कहा कि “मुझे लगता है कि SCO के संदर्भ में बहुत स्पष्ट है कि द्विपक्षीय मुद्दे उसके एजेंडे का हिस्सा नहीं हैं। लेकिन जब वास्तविकता में आपकी बैठकें होती हैं, तो उनके मौके पर मंत्रियों को द्विपक्षीय रूप से मिलने का अवसर मिलता है।“पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारतीय यात्रा 12 से अधिक वर्षों के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री पहली बार भारत का दौरा करेंगे। Sputnik ने विशेषज्ञों से पूछा कि उनकी राय में उनकी यात्रा इसी समय क्यों हो रही है और निकट भविष्य में भारत-पाकिस्तान के संबंध किस तरह विकसित होंगे।गुरजीत सिंह ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारतीय यात्रा और भविष्य में भारत-पाकिस्तान के संबंधों को लेकर बताया कि “मुझे पाकिस्तानी विदेश मंत्री की यात्रा से द्विपक्षीय रूप से कोई बड़ी उम्मीद नहीं है। लेकिन हां, SCO की बैठक में भाग लेने के लिए उनका स्वागत है, पाकिस्तान SCO का हिस्सा है।" इसके साथ उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान अपनी नीति को नहीं बदलेगा तब तक भारत-पाकिस्तान के संबंध विकसित नहीं होंगे।
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भारत बहुध्रुवीय दुनिया का पक्षधर है: SCO बैठक से पहले विशेषज्ञ
शंघाई सहयोग संगठन एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 2001 में की गई थी। इस में भारत, रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं।
शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद गोवा में इस संगठन में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों की दो दिवसनीय बैठक कल शुरू होने वाली है।
इस बैठक के मौके पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर गुरुवार को गोवा में रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव और चीनी विदेश मंत्री किन गैंग के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने वाले हैं।
शंघाई सहयोग संगठन में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों की इस बैठक से पहले Sputnik ने कई विशेषज्ञों से बात की जिन्होंने इस बैठक के महत्त्व, एस. जयशंकर और किन गैंग की आने वाली मुलाकात और पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारतीय यात्रा को लेकर अपनी राय को साझा किया।
भारतीय अध्यक्षता के संदर्भ में SCO की बैठक का महत्त्व
भारत अब शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता करता है। Sputnik ने विशेषज्ञों से पूछा कि भारतीय अध्यक्षता के संदर्भ में SCO के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की इस बैठक का महत्त्व क्या है।
“भारत बहुपक्षवाद और बहुध्रुवीय दुनिया दोनों के लिए बहुत प्रतिबद्ध है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लोकतंत्रीकरण का रास्ता है। मध्यम स्तर की अंतर्राष्ट्रीय शक्ति के रूप में, भारत SCO की इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता और मेजबानी करने के कारण खुश है। अधिक ध्रुवीकरण और दुनिया में अस्थिरता कि स्थिति में क्षेत्रीय रूप से यूरेशिया के लिए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह बैठक महत्वपूर्ण है,” जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रूसी और मध्य एशियाई अध्ययन केंद्र की सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. अनुराधा चिनॉय ने बताया।
जर्मनी, इंडोनेशिया, इथियोपिया, आसियान और अफ्रीकी संघ में भारत के पूर्व राजदूत
गुरजीत सिंह ने वह भी कहा कि SCO में भारतीय अध्यक्षता बहुत महत्तपूर्ण है।
उनके अनुसार, SCO की अध्यक्षता भारत के लिए SCO के देशों से अपने संबंधों का विस्तार करने का बहुत महत्वपूर्ण अवसर है।
एस. जयशंकर और किन गैंग की आने वाली मुलाकात
पूर्वी लद्दाख में शेष सीमा मुद्दों के समाधान पर ध्यान देने के लिए इस बैठक के मौके पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर गुरुवार को चीनी विदेश मंत्री किन गैंग के साथ द्विपक्षीय बैठक करने वाले हैं।
इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या SCO अपने सदस्य देशों को और विशेष रूप से
भारत और चीन को सीमा मुद्दों को सुलझाने में मदद देने में सक्षम है, डॉ. अनुराधा चिनॉय ने कहा कि चीनी विदेश मंत्री किन गैंग की भारतीय यात्रा भारत के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
“विदेश मंत्री किन गैंग का दौरा अहम कदम है, जहां दोनों विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत होगी। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि दोनों के बीच शांति, विश्वास और आपसी समझ भारत और चीन दोनों के लिए ही नहीं, क्षेत्रीय रूप से यूरेशिया के लिए भी लाभदायक होंगी,” उन्होंने टिप्पणी की।
सदस्य देशों को सीमा मुद्दों को सुलझाने में
SCO की मदद पर ध्यान देते हुए गुरजीत सिंह ने कहा कि “मुझे लगता है कि SCO के संदर्भ में बहुत स्पष्ट है कि द्विपक्षीय मुद्दे उसके एजेंडे का हिस्सा नहीं हैं। लेकिन जब वास्तविकता में आपकी बैठकें होती हैं, तो उनके मौके पर मंत्रियों को द्विपक्षीय रूप से मिलने का अवसर मिलता है।“
“निश्चित रूप से मैं सोचता हूँ कि भारत अपनी ऐसी राय जताएगा कि सीमा की स्थिति को वापस वही करने की आवश्यकता है जो पहले थी,” उन्होंने भारतीय-चीनी सीमा मुद्दों को लेकर कहा और उस पर जोर दिया कि लद्दाख में स्थिति को सामान्य किए बिना “भारत-चीन के संबंध सामान्य समय पर नहीं लौटेंगे।“
पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारतीय यात्रा
12 से अधिक वर्षों के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री पहली बार भारत का दौरा करेंगे। Sputnik ने
विशेषज्ञों से पूछा कि उनकी राय में उनकी यात्रा इसी समय क्यों हो रही है और निकट भविष्य में भारत-पाकिस्तान के संबंध किस तरह विकसित होंगे।
“भारत और पाकिस्तान ने संबंधों की बहाली करने के लिए छोटा सा पहला कदम उठाने के लिए गोवा में होने वाली SCO की बैठक के अवसर का इस्तेमाल किया है। पिछले वर्षों के दौरान पाकिस्तान में आर्थिक रूप से काफी गंभीर गिरावट दिखाई दी। [...] पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन के कारण सबसे भयानक बाढ़ें हुईं। पाकिस्तान में राजनीतिक संकट है। दूसरी ओर भारत में स्थिर आर्थिक विकास है। [...] भारत ने दावा किया है कि भारत में आतंकवाद में कमी आई है। इस स्थिति में पाकिस्तान के विदेश मंत्री का दौरा क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सकारात्मक होगा, यह छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम होगा,” डॉ. अनुराधा चिनॉय ने कहा।
गुरजीत सिंह ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारतीय यात्रा और भविष्य में भारत-पाकिस्तान के संबंधों को लेकर बताया कि “मुझे पाकिस्तानी विदेश मंत्री की यात्रा से द्विपक्षीय रूप से कोई बड़ी उम्मीद नहीं है। लेकिन हां, SCO की बैठक में भाग लेने के लिए उनका स्वागत है, पाकिस्तान SCO का हिस्सा है।"
इसके साथ उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान अपनी नीति को नहीं बदलेगा तब तक भारत-पाकिस्तान के संबंध विकसित नहीं होंगे।
इसके साथ अंत में उन्होंने कहा कि "मुझे लगता है कि भारतीय पक्ष से हम रूस के विदेश मंत्री से मिलने के लिए उत्सुक हैं, जो भारत के पुराने मित्र हैं। हम चार मध्य एशियाई देशों यानी कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के विदेश मंत्रियों से भी मिलने का इंतजार कर रहे हैं, जो यहां भी होंगे, जिनके साथ अपने क्षेत्र को बेहतर रूप से विकसित करने के लिए हम स्थिर साझेदारी करते हैं।"