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इस स्कैम से बचने के लिए किसी भी अनचाही व्हाट्स एप कॉल को न उठाए: साइबर विशेषज्ञ

भारत का सूचान प्रौद्योगिकी (IT) मंत्रालय अज्ञात अंतरराष्ट्रीय नंबरों से कॉल के मुद्दे पर व्हाट्स एप को नोटिस भेजेगा। IT राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने यह जानकारी संवाददाताओं से साझा की।
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भारत में आज कल व्हाट्स एप के जरिए एक नए तरह का स्कैम सामने आ रहा है, लोगों को दिन में कई कई बार अंतरराष्ट्रीय फोन नंबर से व्हाट्सएप आडियो-विडियो मिस कॉल और मैसेज आ रहे हैं।

अगर इन फोन नंबर की बात करें तो यह +254, +84, +63 या किसी और नंबर से भी शुरू हो सकते हैं।
Sputnik ने इस पर बात की डॉ पवन दुग्गल से बात की जो साइबर सुरक्षा कानून पर अंतरराष्ट्रीय आयोग के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। डॉ.दुग्गल Cyberlaws.Net के अध्यक्ष भी हैं और साइबर कानून, साइबर सुरक्षा कानून और मोबाइल कानून के अग्रणी क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
Sputnik को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि पहले हमें जनरल फोन आते थे लेकिन नियामक संस्थाओं के आ जाने के बाद वह पक्का कर रही हैं कि फोन का दुरुपयोग न हो लेकिन अब व्हाट्स एप नया ज़रिया बन गया है जिसके द्वारा बहुत सी कंपनियां,लोगों को टारगेट कर रही हैं और जानने का प्रयास कर रही हैं कि उपभोक्ता यह एप प्रयोग कर रहा है या नहीं।

"ये कॉल जो है, एक नया प्रकरण है। देखिये अगर हम फ़ोन की बात करें तो फ़ोन पर भी हमें कुछ फोन आ जाते हैं लेकिन अब क्योंकि रेग्युलेशन सख्त हो गया है और वह पक्का कर रहा है की आपके फ़ोन का दुरुपयोग ना हो। लिहाजा अब कंपनियां चाहती हैं कि,आपको वॉट्सऐप जैसे माध्यम से टारगेट किया जाए। तो बहुत सी कंपनियां आपको कॉल कर रही है, मिस्ड कॉल दे रही है कन्फर्म करने के लिए कि आप ये वॉट्सऐप इस्तेमाल कर रहे हैं या नहीं? इस बार कन्फर्मेशन हो जाएगी तो आप को टारगेट किया जाएगा, लेकिन उसी की आड़ में अब साइबर क्रिमिनल्स भी आप को टारगेट कर रहें हैं। अब विभिन्न राष्ट्रों के नंबर्स को लेते हैं और फिर उनसे आपको कॉल कराते हैं, कॉल शायद इंडिया से हो रहा होगा लेकिन आपको लगेगा कॉल ये कहीं और से आ रहा है या विदेश से आ रहा है," साइबर एक्सपर्ट डॉ.पवन दुग्गल ने Sputnik को बताया।

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जब डॉ.पवन दुग्गल से पूछा गया कि मिस कॉल के अलावा जॉब दिलाने और पैसा कमाने के मैसेज भी व्हाट्स एप के जरिए भारत में भेजे जा रहे हैं तब उन्होंने बताया कि किसी को भी अगर मैसेज आता है तो उन्हें पहले यह सोचना चाहिए कि इस तरह का मैसेज उन्हे क्यू आया और क्या इससे पहले कभी कोई ऐसा मैसेज आया है, हालांकि बहुत लोग नौकरी के लालच में फस जाते हैं और जाने अनजाने मैं अपना डाटा शेयर कर देते हैं, लेकिन हमें ही सावधान रहना होगा ,तभी इस साइबर क्राइम से बच पाएंगे।

"इनका उद्देश्य बहुत सिम्पल है कि बहुत सारे लोग 10000 की जॉब के इस प्रलोभन के जाल में फंस जाएंगे, अगर आपने एक बार रिस्पॉन्ड किया फिर वो कहेंगे आप हमें डिटेल्स दीजिये, हमें थोड़ी प्रोसेसिंग फीस दे दीजिये फिर 4000 -5000 रुपए आपसे मांग लेंगे, कुछ में वह आपसे फाइनैंशल डिटेल्स ले लेंगे और फिर उसका दुरुपयोग करेंगे। दूसरी बात यह हैं कि वह कई बार इस तरह के मेसेजेस के साथ-साथ वो जान बूझ के वायरस भेज देते है। जिसकी मदद से आपका डेटा वह चुरा सकें, अब हमें समझना होगा कि यह साइबर क्राइम का एक नया पड़ाव है जो हमारे सामने आ रहा है और जितनी जल्दी हम सतर्क सावधान रहेंगे उतनी कम संभावनाएँ हैं कि हम इस साइबर क्राइम के शिकार होंगे," साइबर सुरक्षा कानून पर अंतरराष्ट्रीय आयोग के संस्थापक डॉ पवन दुग्गल से बात की।

दुनिया के सबसे बड़े बिजनस टाइकून में से एक एलोन मस्क का कहना है कि एक ट्विटर इंजीनियर द्वारा दावा किए जाने के बाद कि व्हाट्सएप पर भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि जब वह सो रहा था तो इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप पृष्ठभूमि में अपने माइक्रोफोन का उपयोग कर रहा था। ट्विटर कर्मचारी ने अपने दावों के समर्थन में एक Android डैशबोर्ड का स्क्रीनशॉट भी पोस्ट किया। मस्क ने ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा कि इस प्लेटफॉर्म पर भरोसा नहीं किया जा सकता। मस्क के इस बयान पर डॉ. पवन दुग्गल ने Sputnik को बताया कि हम बड़ी आसानी से कंपनी के झांसे में आ जाते हैं और बिना सोचे अपना डाटा शेयर कर देते हैं। हमें यह समझना होगा कि कंपनी आपके डाटा के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं।
"देखिये हम उपभोक्ता हैं और हमारी एक समस्या है, जो हमें बताया जाता है। हम मान लेते हैं जो कंपनी कहती है और बिना अपनी तफ्तीश के, लेकिन आपको समझना होगा कि आज हम डेटा इकॉनमी के युग में है। हमारा सबसे महत्वपूर्ण डेटा है तो लिहाजा हर कंपनी आपके डेटा के लिए भूखी है, तो मुझे लगता है की बहुत संभावित तौर पर वॉट्सऐप का दुरुपयोग हो सकता है। बहुत हेकर्स के कॉरिडोर्स में ये भी आवाजें सुनने को मिलती है की बहुत सी सरकारे इस तरह के डेटा का इस्तेमाल करती है, अपने सिटिज़न्स पर निगरानी रखने के लिए और क्या हकीकत है, क्या नहीं, ये तो आने वाला समय ही बताएगा। यह वॉट्सऐप कंपनी अंत में एक अमेरिकी कंपनी है और आपका डेटा अमेरिका जा रहा है और वहाँ पर अमेरिकी कानून के अनुसार वहाँ की जितनी एजेंसीज़ है जो डेटा मांगेगी, अमरीकी कंपनियों को देना पड़ेगा, इसलिए हम अपनी सूझबूझ के साथ किसी भी प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल करें," भारत में साइबर कानून के जानकार डॉ. पवन दुग्गल ने Sputnik को बताया।
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Sputnik को दिए इंटरव्यू में डॉ. दुग्गल ने बताया कि हमारे यहाँ समस्या ये है की हम लोग भारतवासी डेटा को इतना महत्व नहीं देते जितना देना चाहिए। हमें समझना होगा कि आने वाले समय में पैसे से ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाला है डेटा, लिहाजा अपने डेटा को फ्री डिस्ट्रीब्यूट ना करें। अपने डेटा को केवल नीड टु नो बेसिस पर ही साझा करें, और आखिर में उन सब गैर जरूरी कॉल या मैसेज से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि आप किसी भी ऐसे कॉल को नहीं उठाना है जो उस नंबर से आ रहा है जिसे आप नहीं जानते क्योंकि आपके फोन उठा लेने से आपको कई तरह के नुकसान का सामान करना पड़ सकट है, हालांकि सरकार और नियामक संस्थाएं चाहे तो इस तरह के स्कैम पर रोक लगा सकते हैं।
"मुझे लगता है कि भारतीय सरकार ओर रेग्यलैटर अगर चाहेंगे तो रोक लगाई जा सकती हैं, लेकिन उसके लिए कहीं ना कहीं आप को एक कड़ा रवैया अख्तियार करना पड़ेगा, अगर भारतीय सरकार और नियामक संस्थाए स्पष्ट तौर पर उन्हें इस तरह के प्रावधान लेकर आए। जो ट्रान्सपेरेन्सी और अकाउन्टबिलिटी ला सके। इन सर्विस प्रोवाइडर्स में तो सर्विस प्रोवाइडर्स विवश होकर भी आपके कानून के प्रावधनों का पालन करेंगे, तो मैं उम्मीद करता हूँ की 95 से 99% जितने सर्विस प्रोवाइडर्स है, उसका पालन करेंगे। उससे भारतीय उपभोक्ताओं का ज्यादा संरक्षण होगा, उनके डेटा का संरक्षण होगा। वैसे अगर कोई मिस्ड कॉल आई है और ऐसे नंबर से आई है जिसे आप नहीं पहचानते हैं तो दोबारा अपने नंबर से फ़ोन ना करें," डॉ.दुग्गल ने इंटरव्यू में बताया।
डॉ.पवन दुग्गल ने आखिर में बताया कि आप जितना सजग रहेंगे तो इस तरह के स्कैम से बच पाएंगे। इस तरह की कॉल न केवल फिशिंग, आइडेंटिटी थेफ्ट के साथ ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड का जरिया भी हो सकती हैं। भारत सरकार अगर कड़े प्रावधान लेकर आती है तो अंत में इन सर्विस प्रोवाइडर्स में पारदर्शिता आ जाएगी, अभी तो लगता है कि सर्विस प्रोवाइडर्स खुद अपने आप में ही कानून है और अपनी मन मर्जी करती हैं। इन तमाम सर्विस प्रोवाइडर्स को समझना होगा कि वो कानून के ऊपर नहीं है और अगर भारतीय कानून कुछ सख्त कड़े प्रावधान लेकर आता है तो उनके पास कोई विकल्प नहीं होगा बल्कि इतना ही की वो उन प्रावधनों का पालन करें, तो अब दायित्व सरकार पर है।
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