भारतीय मीडिया ने शीर्ष आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा कि अमेरिका, गाम्बिया और उज्बेकिस्तान जैसे देशों में कथित तौर पर घटिया भारतीय दवाओं के कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानी और मौतों की खबर के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय दवा निर्यात के लिए एक नई प्रणाली लगाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि सभी भारत निर्मित दवाओं के नमूनों को भेजने से पहले गुणवत्ता के लिए परीक्षण किया जाएगा।मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और फार्मास्यूटिकल्स विभाग इस नई नीति पर विचार कर रहे हैं। इसे लेकर विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) से सुझाव मांगे गए थे।
सभी दवाओं को विदेश भेजे जाने से पहले क्षेत्रीय या केंद्रीय ड्रग टेस्टिंग लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा, अभी तक दवा निर्माता बिना किसी गुणवत्ता जांच के निर्यात लाइसेंस प्राप्त करने के बाद सीधे विदेशों में निर्यात करते थे।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) का हवाला देते हुए अमेरिकी मीडिया ने खबर दी है कि चेन्नई स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर द्वारा एज़रीकेयर आर्टिफिशियल टियर्स ब्रांड नाम के तहत बनाई गई आंखों की दवा से तीन मौतें, अंधेपन के आठ मामले और दर्जनों संक्रमण पाए गए। हालांकि तमिलनाडु के ड्रग रेगुलेटर ने बाद में कहा कि उसे नमूनों में कोई संदूषण नहीं मिला और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है।
इससे पहले दिसंबर में उज्बेकिस्तान ने दावा किया कि कथित रूप से भारत निर्मित खांसी की दवा लेने के बाद देश में कम से कम 18 बच्चों की मौत हो गई है।