तुर्की भारत के साथ कश्मीर विवाद पर पाकिस्तान का समर्थन करना जारी रखेंगे, भले ही मौजूदा राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन और उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी केमल किलिकदारोग्लु के बीच 28 मई को होने वाले राष्ट्रपति पद के रन-ऑफ में कोई भी जीते।
“तुर्की की राजनीति में राष्ट्रवाद की जड़ें गहरी हैं। भले ही रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (CHP) का उम्मीदवार एक धर्मनिरपेक्ष है और उसकी राजनीति एर्दोगन के इस्लामवादी ब्रांड से अलग है, अगर विपक्षी उम्मीदवार सत्ता में आते हैं तो हम तुर्की की विदेश नीति के एजेंडे में थोड़ा बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं," सामरिक मामलों के वरिष्ठ जानकार क़मर आगा ने Sputnik को बताया।
एर्दोगन ने रविवार को पहले दौर के चुनाव में 49.5 प्रतिशत वोट हासिल किए, जबकि किलिकडारोग्लु ने कुल वोट का 44.5 प्रतिशत हासिल किया।
भारतीय विशेषज्ञ ने याद किया कि तुर्की और पाकिस्तान दोनों ही शीत युद्ध के दौरान अमेरिका के नेतृत्व वाले केंद्रीय संधि संगठन (CENTO) के सदस्य थे और 1970 के दशक में सैन्य समझौता भंग होने के बावजूद घनिष्ठ संबंध बनाए रखे हैं ।
आगा ने कहा कि किलिकडारोग्लु के नेतृत्व में छह-पार्टी 'नेशन एलायंस' कई राष्ट्रवादी समूहों से बना है।
किलिकडारोग्लु की राष्ट्रवादी झलक बुधवार को उस समय प्रदर्शित हुई जब उन्होंने "हमारे देश में रोजाना लोगों की बाढ़ का उच्छृंखल ज्वार" की आलोचना की। तुर्की लगभग चार मिलियन सीरियाई शरणार्थियों की मेजबानी करता है।
भारतीय विशेषज्ञ ने यह भी कहा कि रविवार के राष्ट्रपति चुनाव में तीसरे स्थान पर आने वाले राष्ट्रवादी राजनेता सिनान ओआन 28 मई के रन-ऑफ वोट में एक "प्रमुख भागीदार" बन गए हैं क्योंकि एर्दोगन और किलिकडारोग्लु दोनों चुनाव को अपने पक्ष में करने के लिए उन्हें लाने की कोशिश करेंगे।
साल 2020 में पाकिस्तान की राजकीय यात्रा के दौरान, एर्दोगन ने रेखांकित किया कि कश्मीर मामले पर अंकारा हमेशा इस्लामाबाद के साथ खड़ा था और आगे भी रहेगा। उन्होंने 2019 में जम्मू-कश्मीर की अर्ध-स्वायत्त स्थिति को रद्द करने के नई दिल्ली के फैसले को "एकतरफा कदम" कहकर इस की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति खराब हो गई है।
एर्दोगन के शासनकाल में अंकारा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों के माध्यम से कश्मीर विवाद को हल करने की वकालत की है, जो कि इस्लामाबाद की पक्ष पर भी है।
किलिकडारोग्लु पश्चिम से 'संबंध बेहतर' करने की करेंगे कोशिश
आगा ने टिप्पणी की कि जहाँ तक कि पश्चिम और यूरोपीय संघ से तुर्की के संबंधों का सवाल है, विपक्षी उम्मीदवार रिश्ते बेहतर करने की कोशिश करेंगे।
“किलिकडारोग्लु ने पहले ही कहा है कि वह रूस और पश्चिम के बीच तुर्की के संबंधों को संतुलित करना चाहते हैं। मेरा मानना है कि वे अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए तुर्की में और अधिक पश्चिमी निवेश आमंत्रित करने के लिए पश्चिम को लुभाएगें ," आगा ने कहा।
तुर्की की घरेलू मुद्रास्फीति बढ़कर पिछले अगस्त में 24 साल के 84 प्रतिशत के उच्चतम रिकॉर्ड पर पहुंच गई, जिसने एर्दोगन को ब्याज दरों को कम करने के लिए प्रेरित किया। हालांकि, इस निर्णय ने अमेरिकी डॉलर की तुलना में तुर्की लीरा के मूल्य को कम कर दिया है, जिससे आयात बिल में वृद्धि हुई।
हालांकि आगा ने यह रेखांकित किया कि ऊर्जा, अनाज, कृषि व्यापार और पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अंकारा और मास्को के बीच मजबूत आर्थिक संबंधों को देखते हुए, किसी भी महत्वपूर्ण तरीके से अपनी नीति [रूस से दूर] "किलिकडारोग्लु के लिए फिर से उन्मुख करना मुश्किल" होगा।
अंकारा ने पिछले साल रूस और यूक्रेन के बीच संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले 'काला सागर अनाज पहल' पर बातचीत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके परिणामस्वरूप यूक्रेन के बंदरगाहों से अनाज का निर्यात फिर से शुरू हो गया था।
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का सहयोगी होने के बावजूद, अंकारा यूक्रेन के मुद्दे पर कमोबेश तटस्थ रहा है।
पिछले साल सितंबर में समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान एर्दोगन से मुलाकात के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूसी और तुर्की सरकारें पिछले साल भी रूबल में अपने गैस व्यापार का एक हिस्सा तय करने पर सहमत हुई थीं।
आगा ने यह भी कहा कि विपक्ष की जीत की स्थिति में साइप्रस, कुर्दिस्तान के साथ-साथ सीरिया सहित अंकारा के राष्ट्रीय हित के प्रमुख मुद्दों पर थोड़े बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।