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'वे शांति तो नहीं, युद्ध चाहते हैं': दिमित्री मेदवेदेव

रूसी समाचार एजेंसी RT (Russia Today) ने रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और देश के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री अनातोलेविच मेदवेदेव से बात की। उनसे यूक्रेन संकट से उत्पन्न परमाणु खतरे और चल रहे विवाद में नाटो के लक्ष्यों के बारे में पूछा गया।
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सवाल: दिमित्री अनातोलियेविच, आप कई वर्षों तक रूस के राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के रूप में अपने पश्चिमी सहयोगियों से बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे। आज पीछे मुड़कर क्या आप इस बातचीत करते हुए बिताये समय को और सहमति पर पहुँचने के प्रयासों को व्यर्थ कह सकते हैं?
उत्तर: आप बिल्कुल सही कह रहे हैं, यह समय की बर्बादी थी। व्यर्थ प्रयास। वे बातचीत के लिए तैयार नहीं थे। एक प्रसिद्ध साहित्यिक नायक के शब्दों में कहें तो वे निकृष्ट, तुच्छ लोग हैं।
सवाल: समझाइए कृपया कि आप ऐसा क्यों सोचते हैं?
उत्तर: समझाने के लिए क्या है? वे [पश्चिमी देश] शांति तो नहीं, युद्ध चाहते हैं। वे सहयोग नहीं चाहते, वे टकराव चाहते हैं। वे हमारे देश का अत्याचार करने में कसर न छोड़ेंगे। इसलिए यह कह रहा हूँ।
सवाल: आपको क्या लगता है कि आज परमाणु सर्वनाश का खतरा वास्तविक है या चिंता करने के लिए कोई कारण नहीं है? और आपको क्या लगता है कि नाटो इस परिदृश्य को गंभीरता से लेता है या नहीं?
उत्तर: मैं आपके प्रश्न के दूसरे भाग से शुरू करूँगा। नाटो इस परिदृश्य को हल्के में लेता है। नहीं तो नाटो यूक्रेनी शासन को इतने खतरनाक हथियारों की आपूर्ति न करता। इसलिए उनका मानना ​​होगा कि परमाणु विवाद यानी परमाणु सर्वनाश असंभव है, क्योंकि यह कभी संभव नहीं है। वे गलत हैं। और किसी बिंदु पर घटनाएं किसी अप्रत्याशित परिदृश्य के अनुसार आगे बढ़ सकती हैं। और जिम्मेदारी पूरी तरह से उत्तरी अटलांटिक गठबंधन पर होगी।
सवाल: आपको क्या लगता है कि यूक्रेन में विवाद में अमेरिका के लिए सर्वोपरि लक्ष्य क्या है?
उत्तर: रूसी संघ का विनाश। कम से कम, रूसी संघ का नियंत्रण। वे चीन के प्रति भी यही कर रहे हैं। लेकिन सर्वोपरि लक्ष्य एक देश के रूप में रूस का विनाश है।
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