"भारत और चीन उन देशों में से हैं जहां तेल और तेल उत्पादों की अतिरिक्त आपूर्ति की जाएगी। इस से पहले हमने भारत में इन उत्पादों की आपूर्ति नहीं की थी, लेकिन पिछले साल इस में निर्यात बढ़कर 32 मिलियन टन हो गया है, इस साल [निर्यात] और भी अधिक होगा," नोवाक ने कहा।
उप प्रधान मंत्री ने जोर देकर कहा कि ये बाजार रूस के दोस्तों के बाजार हैं।
नोवाक ने यह भी बताया कि 2022 में रसद में बदलाव के परिणामस्वरूप, पश्चिमी दिशा के स्थान पर एशिया-प्रशांत की दिशा में यानी पूर्वी बाजारों में अतिरिक्त रूप से लगभग 40 मिलियन टन तेल और तेल उत्पादों की आपूर्ति की गई थी। "इस साल, 140 मिलियन टनों की आपूर्ति की जाएगी, और केवल 80 मिलियन टन पश्चिमी बाजारों में रहेंगे," उन्होंने कहा।
4 जून को ओपेक+ की आनेवाली बैठक का जिक्र करते हुए नोवाक ने कहा कि इससे शायद ही कोई नया कदम उठाया जाएगा।
उन्होंने कहा, "छह महीनों के दौरान यह पहली आमने-सामने की बैठक होगी, हम हमेशा की तरह बाजार की स्थिति के आकलन का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि कोई नया कदम उठाया जाएगा।"