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नए संसद भवन में स्थापना के लिए तैयार सेंगोल

सेंगोल को अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरण के रूप में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को 1947 में सौंपा था, इसके बाद इसे उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक संग्रहालय में रखा गया था।
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संग्रहालय में रखा गया सेंगोल को अब नए संसद भवन में स्थापना के लिए देश की राजधानी दिल्ली में तैयार है।
इलाहाबाद संग्रहालय के क्यूरेटर वामन वानखेड़े के अनुसार यह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का पूरा संग्रह इलाहाबाद संग्रहालय में रखा गया था।
The ‘Sengol’

“इस संग्रहालय की स्थापना नगर पालिका के एक कमरे मे 1931 में हुई और जैसे जैसे यहां चीजें बढ़ती रही तो नए भवन की आवशकता पड़ी और फिर नए भवन का शिलान्यास 1947 में पूर्व पीएम जवाहार लाल नेहरू द्वारा किया गया। उन्होंने तत्कालीन क्यूरेटर एससी कला के अधीन इलाहाबाद संग्रहालय को उपहार में मिली सभी सामग्री दान की। सभी चीजों के साथ-साथ यह सोने की छड़ी भी संग्रह में रखी गई थी और इसे हमने 4 नवंबर, 2022 को हमेशा के लिए लोन पर राष्ट्रीय संग्रहालय को दे दिया था,” इलाहाबाद संग्रहालय के क्यूरेटर वामन वानखेड़े ने Sputnik को बताया।

सेंगोल क्या है?

सेंगोल एक तमिल शब्द "सेम्मई" से आया है जिसका अर्थ है धार्मिकता।
यह सोने और चांदी से बना एक राजदंड है और इसे कई कीमती पत्थरों से सजाया गया है।
इसकी लंबाई 5 फीट है और शीर्ष पर एक सुनहरा गोला है। इस पर नंदी की नक्काशी है।
सेंगोल चोल राजाओं के अधिकार और न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का एक शक्तिशाली प्रतीक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेंगोल को अमृत काल का राष्ट्रीय प्रतीक बनाने का फैसला किया है। रविवार को होने वाले समारोह में अधीनम (पुजारी) प्रधानमंत्री को नए संसद में सेंगोल प्रदान करेंगे।
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