मणिपुर सरकार द्वारा गठित अवैध अप्रवासियों की पहचान पर कैबिनेट उप-समिति (CSC) ने पाया है कि म्यांमार में सैन्य शासकों के सत्ता में आने के बाद लगभग 2,187 अवैध अप्रवासियों ने मणिपुर में शरण ली है।
दरअसल मणिपुर सरकार ने राज्य में जारी संकट में म्यांमार के नागरिकों की भूमिका का आरोप लगाया है। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि हालिया हिंसा म्यांमार के प्रभावशाली अवैध अफीम की खेती करने वालों और ड्रग माफियाओं द्वारा भड़काई गई थी, जो अवैध रूप से मणिपुर में बस गए हैं।
"सैन्य तख्तापलट और गृहयुद्ध के कारण व्याप्त अशांति की वजह से म्यांमार से भारतीय सीमावर्ती गांवों में अप्रवासियों का एक बड़ा प्रवाह हुआ है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इस खतरनाक स्थिति को देखते हुए मणिपुर सरकार ने अवैध अप्रवासियों की पहचान के लिए एक कैबिनेट उप-समिति (CSC) का गठन किया था," अधिकारी ने कहा।
साथ ही अधिकारी ने कहा, "पहचान अभियान के दौरान, यह देखा गया कि अवैध म्यांमार अप्रवासियों ने अपने गाँव बसा लिए हैं। पहचान की इस कवायद के दौरान ही ऐसे गांवों की स्थापना पर आपत्ति जताई गई थी। उन्हें बताया गया कि सरकार उनके लिए आश्रय गृह बनाएगी। अवैध अप्रवासियों ने प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई है और यह हाल ही में भड़की हिंसा के कारणों में से एक है।"
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार म्यांमार के नागरिकों ने साल 2021 में देश में तख्तापलट के बाद उत्पीड़न के डर से भारतीय राज्यों मणिपुर और मिजोरम में प्रवेश करना शुरू कर दिया था। दरअसल म्यांमार के सागैंग और चिन के क्षेत्रों के साथ मणिपुर 398 किलोमीटर की सीमा साझा करता है।