Sputnik ने एक एक्सपलाइनेर लेख बनाया है जिसमें आज तक रणनीतिक हथियार के बारे में हम जो कुछ भी जानते हैं उसका विवरण दिया गया है।
पोसीडॉन स्वायत्त पनडुब्बी के परमाणु रिएक्टर प्रतिष्ठानों का परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया है, जिससे उनकी सुरक्षा और संचालन के लिए तत्परता की पुष्टि की गई है, रूसी रक्षा क्षेत्र के एक जानकार स्रोत ने इस सप्ताह Sputnik को बताया।
स्रोत के अनुसार स्वायत्त ड्रोन का पहला समुद्री परीक्षण इस गर्मियों के अंत में शुरू होने वाला है और पोसीडॉन के परमाणु ऊर्जा संयंत्र के परिचालन परीक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। परीक्षणों में बेल्गोरोड नामक क्रूज मिसाइल पनडुब्बी भी शामिल होगी। बेल्गोरोड एक विशेष अभियानों के लिए कस्टम-संशोधित रूसी प्रोजेक्ट 949A क्रूज मिसाइल पनडुब्बी है जो सन 2015 में प्रसिद्ध हुई, जब पहली बार एक रूसी टेलीविजन समाचार रिपोर्ट में इस गुप्त रूसी स्वचालित परमाणु-संचालित पनडुब्बी के बारे में बताया गया था।
गुरुवार को रूसी नौसेना के कमांडर-इन-चीफ निकोलाई इव्मेनोव ने Sputnik से पुष्टि की कि सन 2022 में नौसेना को प्रदान किया गया बेल्गोरोड इस साल के अंत में औपचारिक रूप से सेवा में प्रवेश करेगा।
हमें पोसीडॉन के बारे में क्या मालूम है?
पोसीडॉन परियोजना को पहली बार 2018 में आधिकारिक तौर पर उजागर किया गया था, जिसे मूल रूप से स्टेटस-6 नाम दिया गया था। इसके साथ साथ रूसी रक्षा मंत्रालय ने विकास कार्यों के फुटेज और एक स्वायत्त टारपीडो के संचालन के सिद्धांतों की एक कंप्यूटरीकृत प्रस्तुति जारी की थी।
तब से अतिरिक्त विवरण उपलब्ध हो गए हैं, जिनमें पोसीडॉन के आकार और हथियारों के पेलोड के बारे में जानकारी शामिल है। स्वायत्त टारपीडो 20 मीटर लंबा, 1.8 मीटर व्यास और 100 टन वजन का है।
परमाणु रिएक्टर द्वारा संचालित और उपग्रह संचार और कृत्रिम बुद्धि की मदद से स्वायत्त रूप से संचालित पोसीडॉन की रेंज लगभग असीमित है, जो उन्हें वैश्विक सागर की किसी भी बिंदु पहुँचने में और जीतने समय तक संभव हो, उतने समय तक चालू रहने में सक्षम करता है।
फिलहाल पोसीडॉन के दो वाहक हैं: परमाणु पनडुब्बी बेल्गोरोड, जिसका इस्तेमाल पोसीडॉन का विकास और परीक्षण करने के लिए किया जाता है और खाबरोवस्क नामक पनडुब्बियों का एक श्रृंखला जो पोसीडॉन को ले जाने के लिए विकसित किया जा रहा है।
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पोसीडॉन पर अमेरिका का रवैया क्या है?
ऐसा लगता है कि पेंटागन पोसीडॉन के रणनीतिक महत्व को स्वीकार करता है, इसकी 2018 परमाणु नीति की समीक्षा में यह स्वीकार किया गया था कि रूस एक "नया अंतरमहाद्वीपीय, परमाणु-संचालित, पानी के नीचे स्वचालित टारपीडो" विकसित कर रहा है। सन 2020 में अमेरिकी नेवल संसथान ने कहा कि नई प्रणाली के "उपशाखों" को "अधिक नहीं आँका जा सकता", यह भी कहा गया था कि यह "बैलिस्टिक-मिसाइल रक्षा के लिए अभेद्य" है और इसका तब तक पता नहीं लगाया जा सकता जब तक इसका विस्फोट न हो जाए।
क्या पोसीडॉन का कोई पूर्वज है?
वास्तव में पोसीडॉन रूस में विकसित पहला भयंकर टॉरपीडो नहीं है। 1940 के दशक के अंत में परमाणु युग की शुरुआत में सोवियत अभियन्तों को एक परमाणु-सशस्त्र टारपीडो बनाने का काम सौंपा गया था जिसे युद्ध की स्थिति में अमेरिकी तटों की और लॉन्च किया जा सकता था। T-15 नामक अत्यधिक वर्गीकृत परियोजना का विकास सन 1949 में शुरू हुआ था, जब सोवियत संघ ने अपना पहला परमाणु बम विस्फोट किया, लेकिन इससे पहले कि मॉस्को वाशिंगटन के साथ परमाणु समानता तक पहुँच पाया।
पोसीडॉन के विपरीत T-15 परमाणु-संचालित नहीं था, इसके बदले वह लगभग 30 किमी की यात्रा करने के लिए एक इलेक्ट्रिक मोटर का इस्तेमाल करता था। लेकिन आखिरकार नौसेना ने डिज़ाइन का अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला कि यह परियोजना समस्याग्रस्त थी।
रूस ने पोसीडॉन क्यों विकसित किया है?
सोवियत संघ के पतन के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों ने रूस की सीमाओं पर पश्चिमी गठबंधन के प्रभाव का विस्तार करके रूस की रणनीतिक सुरक्षा को कमजोर करने के लिए कई कदम उठाए।
सन 2002 में वाशिंगटन ने एकतरफा रूप से एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल संधि को समाप्त कर दिया। वहीं 2000 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका यूरोप में मिसाइल रक्षा प्रणाली तैनात करने लगा। इन सभी अमेरिकी कदमों के कारण रूसी राजनेताओं और विशेषज्ञों को बड़ी परेशानी हुई, क्योंकि रूस की सीमाओं तक नाटो का विस्तार राज्य के लिए एक बड़ा खतरा था।
इसके अलावा 2000 के दशक में अमेरिकी सैन्य योजनाकारों ने "Prompt Global Strike" अवधारणा विकसित करना शुरू किया, जो दुश्मन के परमाणु निवारकों को बेअसर करने और उनके नेतृत्व को नष्ट करने के लिए सैकड़ों या हजारों पारंपरिक क्रूज मिसाइलों को बड़े पैमाने पर लॉन्च करने की एक पहल थी। इन कदमों के कारण रूस को अपने सोवियत-युग के स्वायत्त परमाणु हथियार नियंत्रण प्रणाली Perimeter को फिर से चलाना पड़ा, जिसे पश्चिम में "डेड हैंड" के रूप में जाना जाता है।
टूटते विश्वास और संधियों को कमजोर करने या तोड़ने की स्थिति में रूस ने रणनीतिक हथियारों की एक नई पीढ़ी विकसित की है, जिसमें पोसीडॉन, एवांगार्ड, सरमत और किंजल शामिल हैं। वैश्विक रणनीतिक स्थिरता बनाए रखने में योगदान देने और दुश्मन की ओर से अचानक हमले की संभावना को हटाने के लिए इन प्रणालियों को बनाया गया है।