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संसद के मानसून सत्र में पेश हो सकता है समान नागरिक संहिता विधेयक: रिपोर्ट

समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद भारत में रहने वाले सभी धर्मों के लोगों के लिए एकसमान कानून होगा। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा में यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) का जिक्र किया था जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है।
Sputnik
भारत सरकार अगले महीने शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने पर एक विधेयक पेश कर सकती है, उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से भारतीय मीडिया ने बताया।
"विधेयक को संसदीय स्थायी समिति को भेजा जा सकता है जो समान नागरिक संहिता पर विभिन्न हितधारकों के विचार सुनेगी," सूत्रों के हवाले से भारतीय मीडिया ने रिपोर्ट किया।
दरअसल कार्मिक, सार्वजनिक शिकायतों, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने नोटिस जारी कर 3 जुलाई को विधि आयोग और कानून मंत्रालय के प्रतिनिधियों को बुलाया है। विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर हितधारकों की राय जानने के लिए 14 जून, 2023 को नोटिस जारी किया था।
संसदीय स्थायी समिति के अनुसार, "भारत के विधि आयोग द्वारा जारी सार्वजनिक नोटिस पर समिति कानूनी मामलों और विधायी विभागों के प्रतिनिधियों के विचारों को सुनेगा। 'पर्सनल लॉ की समीक्षा' विषय के तहत समान नागरिक संहिता पर विभिन्न हितधारकों से विचार आमंत्रित किए जा रहे हैं।''
भारतीय मीडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया कि मानसून सत्र जुलाई के तीसरे सप्ताह में शुरू होने की संभावना है, जिसमें पुराने संसद भवन में बैठकें शुरू होंगी और बीच में ही नई इमारत में चलेंगी।

पीएम मोदी ने की समान नागरिक संहिता की वकालत

मध्य प्रदेश के भोपाल में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी समुदायों के लोगों के लिए समान कानूनों की जोरदार वकालत की और दावा किया कि संवेदनशील मुद्दे पर मुसलमानों को उकसाया जा रहा है।
"यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सामान नागरिक संहिता (UCC) की वकालत की है, लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वाले इसका विरोध कर रहे हैं," पीएम मोदी ने कहा और पूछा कि देश में दो व्यवस्थाएं कैसे हो सकती हैं?
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समान नागरिक संहिता का इस्तेमाल मुसलमानों को गुमराह करने के लिए किया जा रहा है: नरेंद्र मोदी
बता दें समान नागरिक संहिता (UCC) एक प्रस्ताव है जिसका उद्देश्य धर्मों, रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित पर्सनल लॉज़ को धर्म, जाति, पंथ और लिंग की परवाह किए बिना सभी के लिए एक समान कानून से बदलना है।
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