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विशेषज्ञ से जानें कि क्यों देश में कुत्तों के काटने के मामले बढ़ रहे हैं

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार, विश्व में रेबीज से मनुष्यों की मौतों में से 36% भारत में होती हैं, इनमें 30% से 60% तक मामलों में 15 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल होते हैं, जो आक्रामक कुत्तों के खिलाफ अपनी रक्षा करने में कम सक्षम होते हैं।
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दुनियाभर में कुत्तों को मनुष्य का सबसे बड़ा दोस्त माना जाता है, आदिमानव के समय से कुत्ते इंसानों की रखवाली में और शिकार में मदद करते आए हैं। इंसान और कुत्ते इतने घनिष्ठ माने जाते हैं कि शायद ही इंसान का किसी और जानवर से ऐसा संबंध हो।
इनका उपयोग अभी भी सुरक्षा एजेंसियों और शिकारियों द्वारा और बचाव कुत्तों के रूप में किया जाता है, लेकिन आज के समय की बात की जाए तो यह संबंध थोड़ा दूसरा नजर आ रहा है।
भारत के अलग-अलग राज्यों में कुत्तों के काटने की घटनाएं काफी सामने आ रही हैं, चाहे कुत्ता पालतू हो या सड़क पर रहने वाला। देश भर में आवारा कुत्तों के काटने और बच्चों को मारने की बढ़ती घटनाओं से विशेषज्ञ और कार्यकर्ता भी हैरान हैं। उस तथ्य से कि कुछ घटनाओं में पालतू कुत्ते भी शामिल थे, और ज्यादा हैरान है।
देश भर से हाल के वर्षों में हजारों ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिनमें हर उम्र के लोग कुत्तों के शिकार बन गए। भारत में कई ऐसी घटनाएं हुईं जिन्होंने देश को झकझोर कर रख दिया।
गुजरात में एक सिरेमिक फैक्ट्री में खेलते समय एक आवारा कुत्ते के जानलेवा हमले में ढाई साल के बच्चे की जान चली गई।
राजस्थान के बूंदी जिले में एक खेत की ओर जाते समय तीन आवारा कुत्तों के हमले में एक 12 वर्षीय लड़के की मौत हो गई।
उत्तर प्रदेश में हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में, नोएडा में कुत्ते के काटने से 8 महीने के बच्चे की मौत हो गई।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सुबह की सैर पर निकले एक व्यक्ति को आवारा कुत्तों के झुंड ने काट लिया जिससे उसकी मौत हो गई।
Sputnik ने दिल्ली में कुत्तों को प्रशिक्षण देने वाले दीक्षित वाधवा से बात की। उन्होंने बताया कि चाहे कुत्ता सड़क का हो या पालतू हमें उन्हे समझना होगा। जानवर को अगर आप समझ जाएंगे तो आपकी समस्या का समाधान भी हो जाएगा, और पालतू कुत्ते की बात करें तो उसके व्यवहार को समझना होगा जिससे कुत्तों के मालिक उनकी जरूरतें भी समझेंगे।
Sputnik: कुत्ते के काटने के मामलों में वृद्धि के कारण क्या हैं?
दीक्षित वाधवा: हम कुत्तों को दो श्रेणियों में विभाजित करते हैं। एक आवारा कुत्ते, दूसरा पालतू कुत्ते। आवारा कुत्ते दशकों से लोगों के आसपास रहते-रहते उनके आदी हो गए हैं। आवारा कुत्तों को वर्तमान में प्रकृति ने दो तरह के काम दिए हैं, एक जीवित रहने के लिए भोजन खोजना और दूसरा अपने क्षेत्र की रक्षा करना। जब हम आवारा कुत्तों को दिन में दो बार मुफ्त भोजन देते हैं, तो हम वास्तव में उन्हें भोजन के लिए काम करने के अवसर से वंचित करते हैं। लेकिन उनमें अभी भी काम करने की अपार ऊर्जा है, तो भोजन की खोज का काम पूरा होने के बाद उनका दूसरा काम क्षेत्र की रक्षा करना है और वे अपनी सारी ऊर्जा का उपयोग इस एक कार्य में करते हैं। इसलिए जब भी कोई अजनबी उनके क्षेत्र में आता है तो वे उस पर हमला बोल देते हैं और अक्सर इनके शिकार नौकरानी, फेरीवाले, विक्रेता आदि बन जाते हैं।
अब बात करें पालतू कुत्तों के बारे में। हमारे पालतू कुत्ते ऐसे कुत्ते हैं जिनकी उपयोगिता तो है लेकिन जिनका अभी उपयोग नहीं हो रहा है। उदाहरण के लिए, जर्मन शेफर्ड एक हाइपरैक्टिव सुरक्षा कुत्ता है। बीगल भी बहुत तेज गति से चलने वाला कुत्ता है, शिकार करने वाला कुत्ता है, और इन सभी कुत्तों को जब इनके मालिकों द्वारा पर्याप्त काम नहीं दिया जाए या इन्हें पर्याप्त प्रशिक्षण न मिले तो ये कुत्ते भ्रमित हो जाते हैं और वे स्वयं कार्रवाई करना शुरू कर देते हैं। इसलिए इन पालतू कुत्तों के लिए प्रशिक्षण और पर्याप्त व्यायाम की कमी काटने का मुख्य कारण है, इसलिए वे अपनी प्रवृत्ति के अनुसार खास तौर पर लिफ्ट जैसे बंद जगहों में लोगों को काटते हैं।
Sputnik: कुत्ता काटने के मामले का समाधान करने के लिए सरकार क्या क्या कदम उठाती है?
दीक्षित वाधवा: भारत सरकार सभी सरकारी अस्पतालों में काटने के बाद मुफ़्त रेबीज टीके उपलब्ध कराती है, लेकिन दुख की बात यह है कि ज्यादातर बार जब कोई पीड़ित वहां जाता है तो अधिकारियों द्वारा उन्हें बताया जाता है कि उनके पास फिलहाल टीके नहीं हैं, इसलिए इसे बेहतर किया जाना चाहिए। दूसरा, कभी-कभी नगर निगम अधिकारी, कुत्ते के काटने की संभावना को खत्म करने के लिए कुत्तों को लेने आते हैं... भारत में अधिकारियों द्वारा, नगर निगम विभाग, इन कुत्तों को मुफ्त में बंध्याकरण करने का प्रयास करते हैं और कुछ कार्यकर्ता आकार पिल्ले ले जाते हैं, उनकी नसबंदी करते हैं और ठीक होने के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में उसी स्थान पर छोड़ देते हैं।
Sputnik: कुत्ते के व्यवहार और सुरक्षा के बारे में जागरूकता और शिक्षा की कमी से काटने के मामलों की संख्या बढ़ती है, न?
दीक्षित वाधवा: कुत्तों के मालिक या कुत्ते प्रेमी के रूप में हम उनके व्यवहार को काफी हद तक नहीं समझते हैं। देखिए, जब हमें कोई कुत्ता मिलता है या जब हमें कोई पालतू जानवर मिलता है, तो हम उन्हें पशु चिकित्सक के पास ले जाते हैं क्योंकि हम कुत्ते की शारीरिक रचना को नहीं समझते हैं। कुत्तों के व्यवहार को समझने के लिए हमें कुत्ते के व्यवहार विशेषज्ञों से भी परामर्श लेना चाहिए। इसलिए मैं उन सभी लोगों से आग्रह करता हूँ जो इन दिनों कुत्तों से जुड़े हुए हैं कि उन्हें Google के माध्यम से या किताबें पढ़कर कुत्तों के व्यवहार पर जानकारी प्राप्त करना चाहिए। हमें अपने कुत्तों के साथ एक कुत्ते के व्यवहार विशेषज्ञ के परामर्श से काम करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे हमारे समाज के अच्छे सदस्य बनें।
Sputnik: कुत्तों के काटने की घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है?
दीक्षित वाधवा: मैं सभी कुत्ते प्रेमियों से जो आवारा कुत्तों को खाना भी खिलाते हैं आग्रह करूंगा कि वे कुत्तों को उनके जीवित रहने के लिए पर्याप्त भोजन दें, लेकिन हर दिन उनका पेट न भरें। आप कुत्तों को खाना दे रहे हैं, लेकिन खाना ढूंढने का काम मत छीनिए, यह बात आवारा कुत्तों और पालतू कुत्तों के बारे में है। मैं सभी पालतू जानवरों के मालिकों से आग्रह करूंगा कि वे कुत्तों के व्यवहार को समझें, कुत्तों के प्रशिक्षण पर काम करें, उन्हें अच्छे शिष्टाचार सिखाएं ताकि हम जिस समाज में रहते हैं वे उसके अच्छे सदस्य बन सकें। यदि आप नहीं चाहते कि आपके कुत्ते लोगों को काटें, तो आपको उन्हें समझने का प्रयास करना होगा और उन्हें ऐसा न करने की सीख देनी होगी।
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