संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में बुधवार को यूक्रेन संकट पर सालाना विचार-विमर्श किया गया। यूएनजीए की इस वार्षिक चर्चा में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने अपनी बात रखी।
“हम इस क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम से चिंतित हैं, जिन्होंने शांति और स्थिरता के बड़े उद्देश्य को हासिल करने में मदद नहीं की है <…> भारत ने काला सागर अनाज सौदे को जारी रखने में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव [एंटोनियो गुटेरेस] के प्रयासों का समर्थन किया है, और वर्तमान गतिरोध के शीघ्र समाधान की उम्मीद करता है,” संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा।
कंबोज ने शत्रुता को तत्काल समाप्त करने तथा बातचीत एवं कूटनीति के रास्ते पर लौटने पर आग्रह किया।
“यह कितना भी कठिन क्यों न हो, मतभेदों और विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत ही एकमात्र उत्तर है। शांति के रास्ते के लिए हमें कूटनीति के सभी रास्ते खुले रखने होंगे,“ कंबोज ने कहा।
17 जुलाई को रूस काला सागर अनाज निर्यात समझौते को खत्म कर दिया, जो खाद्य और उर्वरक को वैश्विक बाजारों तक पहुंचाने के प्रयासों से जुड़ा था। रूस ने कई बार इस समझौते को आगे बढ़ाया है, लेकिन पश्चिम ने बार-बार इस समझौते के तहत रूस की लगाई शर्तें पूरी करने से परहेज की है।
साथ ही, मास्को ने इसपर भी जोर दिया कि हालांकि समझौते का उद्देश्य सबसे गरीब देशों को खाद्य भेजना था, यूक्रेन से अनाज का बड़ा हिस्सा पश्चिम के विकसित देशों में चला गया।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि रूस समझौते पर लौटने के लिए तैयार होगा, अगर मास्को द्वारा प्रस्तावित शर्तें पूरी की जाएंगी।
बता दें कि रूस और तुर्की के विदेश मंत्रियों ने गरीब देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक वैकल्पिक प्रस्ताव रखा जो कीव और उसके पश्चिमी संरक्षकों की विध्वंसक कार्रवाइयों पर निर्भर नहीं होगा।