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भारतीय सेना, इसके देशी और विदेशी भागीदारों और प्रतिद्वन्द्वियों की गरमा गरम खबरें।

भारतीय सेना और वायु सेना ने स्वदेशी ड्रोन खरीदने के सौदे पर लगाई मुहर

स्वदेशी प्रणालियों और उपकरणों को सम्मिलित करने की दिशा में एक कदम के रूप में, करीब 5 करोड़ रुपये के अनुबंध में इस साल तक रिमोटली पायलटेड हवाई वाहनों की डिलीवरी होगी और एक साल के भीतर सभी ड्रोन प्राप्त हो जाएंगे।
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भारतीय सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित रिमोटली पायलटेड एरियल वाहनों (RPAV) को शामिल करने के लिए एक समझौता अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
"भारतीय सेना और जेड मोशन्स प्राइवेट लिमिटेड ने रक्षा मंत्रालय के तहत कार्यरत इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX) चैनल के माध्यम से आठ स्वदेशी रूप से विकसित आरपीएवी प्राप्त करने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं," सूत्रों के हवाले से स्थानीय मीडिया ने कहा।
साथ ही मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि "भारतीय सेना अपने लिए और भारतीय वायु सेना के लिए भी ये आरपीएवी खरीद रही है। उन्हें क्षेत्र में निगरानी के लिए बराबर संख्या में ड्रोन मिलेंगे। प्रयोगों के बाद बड़ी मात्रा में आरपीएवी खरीदने की योजना बनाई गई है।''
यह हाल ही में सेना द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित दुर्घटना निवारण उपकरण और विशेष रूप से समुद्री नेविगेशन के लिए डिज़ाइन किए गए अत्यधिक उन्नत रडार सिस्टम को शामिल करने के क्रम में है।
इस बीच भारतीय सेना ने एक ट्वीट में कहा, "...अत्याधुनिक हवाई प्लेटफॉर्म निगरानी, लक्ष्यीकरण और ट्रैकिंग क्षमता को बढ़ाएगा और दुश्मन के ठिकानों पर सटीक निशाना लगाएगा।"
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बता दें कि ये आरपीएवी युद्ध सामग्री के रूप में विकसित किए जा रहे हैं जो ऑपरेशन के दौरान गेम-चेंजर साबित होंगे। यह ड्रोन सेना इकाइयों और विशेष संचालन इकाइयों को गतिरोध सीमा क्षेत्र में सटीक लक्ष्यीकरण करने के लिए अभिन्न निगरानी, लक्ष्यीकरण और ट्रैकिंग क्षमता प्रदान करेंगे।
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