वाशिंगटन में भारतीय दूतावास ने सिख सैनिक को दाढ़ी रखने से रोकने पर न्यूयॉर्क राज्य पुलिस पर आपत्ति जताई है, जबकि सांसदों ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की है और इसे "धार्मिक भेदभाव" करार दिया है।
"भारतीय अधिकारियों ने इस मुद्दे को न्यूयॉर्क राज्य के गवर्नर के कार्यालय के साथ उठाया, और अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने इस विषय को बाइडन प्रशासन के वरिष्ठ स्तरों के साथ उठाया है," अधिकारियों ने कहा।
वहीं न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली में क्वींस का प्रतिनिधित्व करने वाले असेंबलीमैन डेविड वेप्रिन ने न्यूयॉर्क राज्य पुलिस द्वारा श्री तिवाना के दाढ़ी बढ़ाने के अनुरोध को अस्वीकार करने को "धार्मिक भेदभाव की एक चिंताजनक घटना" कहा है।
"कानून के अनुसार किसी को भी अपने धर्म का पालन करने और अपना काम करने के बीच चयन नहीं करना होगा । स्पष्ट रूप से, मैं इन भेदभावपूर्ण प्रथाओं और राज्य कानून के स्पष्ट उल्लंघन से भयभीत हूं," उन्होंने कहा।
इस बीच सिख ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गुरविंदर सिंह ने कहा, "अगर हम अधिकारियों को उनके धर्म और विश्वास के साथ सेवा नहीं करने देंगे, तो हमारे पास पर्याप्त पुलिस अधिकारी नहीं होंगे।"
बता दें कि इससे पहले शीर्ष सिख धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने राजदूत तरनजीत सिंह संधू और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखकर "सिख सैनिकों को बाल काटने के लिए विवश करने की न्यूयॉर्क राज्य पुलिस की भेदभावपूर्ण नीति" पर कड़ी आपत्ति जताई थी और सिख समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने का आग्रह किया था।