हिंसक भीड़ ने 16 अगस्त को पाकिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर में दर्जनों चर्चों और सौ से अधिक ईसाई घरों पर हमला किया। विश्वासियों पर कुरान का अपमान करने का झूठा आरोप लगाया गया, जिससे अशांति फैल गई।
"जरनवाला कांड में दुश्मन देश की खुफिया एजेंसी का हाथ है। दुश्मन के नेटवर्क को तोड़ दिया गया है और भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी," पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक डॉ. उस्मान अनवर ने कहा।
साथ ही उन्होंने कहा कि "यह त्रासदी मुस्लिम और ईसाई समुदायों के बीच टकराव भड़काने का एक प्रयास था। त्रासदी के तीन मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और साजिश के लिए जिम्मेदार लोगों को किसी भी कीमत पर न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।"
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (HRCP) के तथ्य-खोज मिशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, “अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले को पूरी तरह से सहज नहीं माना जा सकता है, इस संदेह के साथ कि यह स्थानीय ईसाइयों के खिलाफ एक बड़े नफरत अभियान के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था, जबकि पुलिस की भूमिका और स्थिति को प्रभावी ढंग से कम करने और नियंत्रित करने की इसकी क्षमता संदिग्ध है।"
बता दें कि पाकिस्तानी ईसाइयों ने भीड़ हिंसा की औपचारिक जांच के लिए लाहौर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। विश्वासियों ने अदालत को चल रही धमकियों की भी जानकारी दी।