18वां G-20 शिखर सम्मेलन कल (10 सितंबर को) प्रारंभ होगा। इसमें दुनिया के सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्थाओं के प्रतिनिधि पहुंचेंगे।
भारतीय G-20 शेरपा अमिताभ कांत ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि नई दिल्ली में G-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की संयुक्त विज्ञप्ति "लगभग तैयार" है और इसे हस्ताक्षर के लिए नेताओं को प्रस्तुत किया जाएगा।
कांत ने संवाददाताओं से कहा, "नई दिल्ली के नेताओं की संयुक्त विज्ञप्ति लगभग तैयार है (…) इसकी सिफारिश नेताओं को की जाएगी और नेता इसे फिर स्वीकार करेंगे। और उसके बाद ही... हम इस संयुक्त विज्ञप्ति की वास्तविक उपलब्धियों पर बात करेंगे"।
भारतीय शेरपा की ओर से यह भी कहा गया कि G-20 शिखर सम्मेलन की संयुक्त विज्ञप्ति ग्लोबल साउथ की आवाज को प्रतिबिंबित करेगी। कांत ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि शिक्षा में सुधार, खाद्य सुरक्षा, हरित विकास, जलवायु परिवर्तन व उससे उपजी चुनौतियां और समाधान भी प्राथमिकताओं में रहे हैं।
शेरपा ने यह भी कहा कि भारत की अध्यक्षता में लगभग 71 देशों ने G-20 बैठकों में भाग लिया है। यह G-20 में अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी है। भारत की G-20 अध्यक्षता के अंतर्गत अफ्रीका की भागीदारी अब तक की सबसे अधिक रही है।
इसके साथ-साथ विनय क्वात्रा ने संवाददाताओं से कहा कि भारत को आशा है कि नई दिल्ली में G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अफ्रीकी संघ के G-20 में सम्मिलित होने पर निर्णय किया जाएगा।
याद दिला दें कि सम्मेलन में पहुंचने वाले नेताओं की सूची में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सम्मिलित नहीं हैं। रूस और चीन का प्रतिनिधित्व दोनों देशों के विदेश मंत्री करेंगे।
अनुमान लगाया जा रहा है कि राष्ट्राध्यक्षों के बीच जिन सवालों पर विचार किया जाएगा, वे खाद्य सुरक्षा, क्रिप्टोकरेंसी पर ग्लोबल फ्रेमवर्क, विश्व बैंक में सुधारों, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) को आगे बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन से संबंधित होंगे।
G-20 की स्थापना 2008 में हुई थी। इसमें यूरोपीय संघ और दुनिया की 19 सब से बड़ी अर्थव्यवस्थाएं सम्मिलित हैं। प्रारंभ में G-20 का समूह आर्थिक विषयों पर ही केंद्रित हुआ करता था, पर बाद में इसकी कार्यसूची में विस्तार करते हुए इसमें अन्य बातों के साथ जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, भ्रष्टाचार-विरोध इत्यादि को सम्मिलित किया गया।