राहुल गांधी भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम जो आज कांग्रेस और विपक्ष का मुख्य चेहरा है, हालांकि अभी वह कांग्रेस पार्टी में किसी पद पर नहीं हैं लेकिन फिर भी उन्हें कद्दावर नेता के तौर पर जाना जाता है।
जब 2024 के आम चुनाव नजदीक हैं तो कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार भी राहुल ही पीएम नरेंद्र मोदी के विरुद्ध प्रधानमंत्री पद के विपक्षी गठबंधन की ओर से उम्मीदवार होंगे। हालांकि इस बात की कोई औपचारिक घोषणा अभी नहीं की गई है।
देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पोते और देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेटे राहुल को राजनीति विरासत में मिली, इसके अलावा उनके नाना देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। राहुल शुरू से राजनीति में नहीं थे, उन्होंने अपने पेशेवर करियर की शुरुआत लंदन स्थित मैनेजमेंट परामर्श फर्म मॉनिटर ग्रुप से की क्योंकि राजनीति में कदम रखने से पहले वे एक पेशेवर करियर बनाने पर अड़े थे।
हाल ही में 53 साल के राहुल काफी चर्चा में रहे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उपनाम को लेकर की गई टिप्पणी को लेकर उन्हें गुजरात के सूरत कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई जिस के कारण उन्हें अपनी संसद सदस्यता गवानी पड़ी हालांकि भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी सजा पर रोक लगा दी जिसकी वजह से उनकी संसद सदस्यता वापस मिल गई।
भारतीय जनता पार्टी जो अब भारत में सरकार में है उन्होंने हमेशा राहुल गांधी को एक कमजोर नेता माना और उन्हें अलग अलग नामों से संबोधित किया लेकिन कांग्रेस पार्टी का विश्वास उन पर अटल रहा जो आज भी कायम है।
Sputnik आपको आज के भारत के मुख्य विपक्षी नेता राहुल गांधी के बारे में बाटाएगा कि राजनीति से पहले वे क्या करते थे, कैसे राजनीति में आए और संसद में उनकी सदस्यता क्यों गई।
राहुल गांधी का शुरुआती जीवन
राहुल का जन्म भारत के दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और वर्तमान लोकसभा सांसद सोनिया गांधी के घर 19 जून 1970 को हुआ था। राहुल ने अपनी प्राथमिक शिक्षा नई दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल और 1981 से 1983 तक उत्तराखंड राज्य के देहरादून के दून स्कूल में प्राप्त की हालांकि उनकी दादी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सुरक्षा कारणों से उन्हें और उनकी बहन प्रियंका गांधी को अपनी शिक्षा घर से ही पूरी करनी पड़ी।
राहुल गांधी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई की लेकिन फिर वह संयुक्त राज्य अमेरिका में हार्वर्ड विश्वविद्यालय चले गए। साल 1991 में, राहुल गांधी के पिता और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आतंकवादियों ने दर्दनाक हत्या कर दी। इसके बाद सुरक्षा कारणों से राहुल गांधी को फ्लोरिडा के रोलिंस कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया जहां उन्होंने 1994 में स्नातक की डिग्री हासिल की और फिर 1995 में ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से एम.फिल की पढ़ाई पूरी की।
राहुल गांधी के वैवाहिक जीवन की बात करें तो वे अभी तक अविवाहित हैं।
India’s Congress party leader Rahul Gandhi gestures during a media briefing at the party headquarters in New Delhi on August 11, 2023.
© AFP 2023 ARUN SANKAR
राहुल का राजनीति में कैसे हुआ पदार्पण?
लंदन से लौटने के बाद वे साल 2002 में मुंबई स्थित प्रौद्योगिकी आउटसोर्सिंग फर्म बैकऑप्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों में से एक थे लेकिन दो साल बाद मार्च 2004 में उन्होंने घोषणा की कि वह राजनीति में प्रवेश करने जा रहे है और वह मई 2004 का चुनाव लड़ेंगे और राहुल ने चुनाव के लिए अपने पिता राजीव गांधी के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र अमेठी को चुना।
राहुल गांधी ने अपने पहले चुनाव में शानदार जीत हासिल की, जहां उन्होंने एक लाख से अधिक वोटों के भारी अंतर से चुनाव जीत लिया, इसके बाद वे 2009 और 2014 में भी अमेठी से ही जीत कर सांसद बन गए।
राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य क्यों ठहराया गया था?
भारत में गुजरात राज्य के सूरत की एक अदालत ने 2019 में एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उपनाम के बारे में टिप्पणी के लिए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी।
राहुल ने अप्रैल 2019 में कर्नाटक राज्य में एक रैली में बोलते हुए कहा था "इन सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है? नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी।"
हालांकि इस पर राहुल का तर्क था कि वह टिप्पणी के जरिए भ्रष्टाचार को उजागर करना चाहते थे न कि वे विशेष तौर पर किसी समुदाय के खिलाफ थे। दो साल की सजा के बाद भारतीय संसद ने नियमानुसार राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी।
हालांकि इस पर राहुल का तर्क था कि वह टिप्पणी के जरिए भ्रष्टाचार को उजागर करना चाहते थे न कि वे विशेष तौर पर किसी समुदाय के खिलाफ थे। दो साल की सजा के बाद भारतीय संसद ने नियमानुसार राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी।
हालांकि जब कांग्रेस और राहुल ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तब अदालत ने सजा पर रोक लगाई जिससे राहुल को अपनी संसद सदस्यता वापस मिल पाई।