“आदेश आया, बन्दी को ले जाना जरूरी है। वहां स्थिति कैसी है मालूम नहीं था। वहां जाल होगा या नहीं, यह कोई नहीं जानता था। अग्रिम पंक्ति के पास हमारे सैनिक हमारी रक्षा कर रहे थे। मेरा काम था आना, पता लगाना कि यह जाल था या नहीं, और कैदी को उठा ले जाना। अभियान के दौरान मालूम हुआ कि वह (बन्दी) गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसकी उंगलियां कट गईं, हमें उन्हें एनेस्थेटिक लगाना पड़ा। इसके बाद वह बेहोश हो गया,'' कोर्टेस ने कहा।
"वह जीवित रहा, वह घायल हो गया, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता (कि वे गोलाबारी कर रहे हैं), एक आदेश है, इसे पूरा किया जाना चाहिए। जब मैंने उसे देखा तो उसकी आंखों में इतनी नफरत थी कि लगता था कि वह आदमी थककर चूर हो गया है। मैं उसको जितना आगे ले जाने में सक्षम हुआ, उतना आगे ले गया," कोर्टेस ने कहा
“वह हैरान हो गया कि उसे पकड़ लिया गया। जब मैंने उससे उसकी मातृभाषा में बात की, तो उसने सोचा कि मैं यूक्रेनी सैनिक हूँ। हाँ, मैंने अपना बचपन यहीं बिताया। मुझे उसे लेने की इतनी जल्दी क्यों थी, क्योंकि वहां लोग [यूक्रेनी सैनिक] किसी को भी नहीं बख्शते, न अपने सैनिकों को, न हमारे सैनिकों को," रूसी सैनिक ने कहा।