भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी भविष्य के मिशनों पर विचार कर रही है, जिनमें स्वयं के अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण की संभावना भी सम्मिलित है।
सोमनाथ ने चीनी मीडिया CGTN के एक साक्षात्कार में कहा, “चंद्रमा मिशन कि सफलता के बाद हम सभी संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं… हम देख रहे हैं कि अंतरिक्ष स्टेशन भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के लिए कैसे लाभदायक बन सकता है”।
सोमनाथ ने खुलासा किया, "हमारी योजना है कि निकट भविष्य में हमें रोबाटिक संचालन की शुरुआत से एक अंतरिक्ष स्टेशन बनाना चाहिए”। उन्होंने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा, “हम अभी तक लोगों को अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन हम इस पर शोध कार्य कर रहे हैं”।
उन्होंने आगे कहा, “गगनयान कार्यक्रम मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता की ओर एक कदम है, और इसमें सफल होने पर हम अगले 20–25 साल बाद अंतरिक्ष स्टेशन की और कदम बढ़ा पाएंगे”।
अंतरिक्ष स्टेशन क्या है?
अंतरिक्ष स्टेशन एक अंतरिक्ष यान जैसी कृत्रिम संरचना है जो मनुष्यों को लंबे समय तक समायोजित करने में सक्षम है। इसे प्रायः निचली पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) पर तैनात किया जाता है, जो एक सुविधा प्रदान करता है जिससे अन्य अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में आगे यात्रा करने से पहले डॉक करने में सक्षम हो सकें।
एक स्वतंत्र अंतरिक्ष स्टेशन "आसमान में आंख" के रूप में भी कार्य करने में सक्षम है, जो मित्रों और शत्रुओं पर 24/7 दृष्टि रख सकता है।
वर्तमान में पृथ्वी की निचली कक्षा में दो पूरी तरह से परिचालन वाले अंतरिक्ष स्टेशन हैं – पांच देशों के सहयोग से संचालित अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) और चीन का तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन।
एक अंतरिक्ष स्टेशन केवल प्रौद्योगिकी नहीं है, बल्कि यह अत्यंत महंगी वस्तु भी है। ISS की लागत 100 बिलियन डॉलर थी और इसे रूस की रोस्कोसमोस, नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, जापान की JAXA और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा बनाया गया था। आईएसएस का वार्षिक रखरखाव लगभग 3–4 अरब डॉलर है।
बता दें, जबकि रूस ISS सहयोग का भाग है, यह एक संप्रभु अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च करने की भी योजना बना रहा है।