एक विदेशी मीडिया में यह बात सामने आई है कि यूक्रेनी सशस्त्र बलों को हताहत होने वाले सैनिकों की बढ़ती संख्या और मानसिक थकावट के कारण सैनिकों के सेवा परित्याग का सामना करना पड़ रहा है।
समाचार ने "लगातार बढ़ते तनाव और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं की उभरती रिपोर्टों" का हवाला दिया। यही कारण है कि सैनिक लड़ाई के मैदान जाने के लिए अनिच्छुक हैं। उन्हें लगता है कि उनके पास अपने दर्दनाक अनुभवों से उबरने के लिए पर्याप्त समय नहीं है।"
अख़बार ने आगे कहा कि बहुत यूक्रेनी सैनिकों ने "पूरे वर्ष में केवल कुछ ही दिन घर पर बिताए हैं, लेकिन उन्हें अग्रिम पंक्ति में वापस भेज दिया गया है, जिससे आत्महत्याओं में वृद्धि हुई है।"
मीडिया ने रोमानियाई आव्रजन अधिकारियों के माध्यम से कहा कि "सैन्य उम्र के 6 हज़ार यूक्रेनी पुरुषों ने अवैध रूप से रोमानिया-यूक्रेन सीमा पार कर ली है। लगभग 20 हज़ार विशेष परमिट के माध्यम से भाग गए हैं, बताया गया है कि ये परमिट प्रायः मेडिकल प्रमाणपत्र और छूट जैसे फर्जी दस्तावेज होते हैं।"
साथ ही, अख़बार ने कहा कि यूक्रेनी सशक्त बल "असंगत हथियार आपूर्ति" के कारण गोला-बारूद की कमी से जूझ रहा है।
अख़बार ने कहा, “गोला-बारूद और मिसाइलों का अकुशल उपयोग होता है, जिससे उपकरणों को क्षति पहुँच सकती है और सैनिकों को चोट लग सकती है। इससे यूक्रेनी सैनिकों का मनोबल गिरा हुआ है।"
नाटो प्रशिक्षकों के सहारे यूक्रेनी सेना जून की शुरुआत से विभिन्न अग्रिम मोर्चों पर प्रगति करने का प्रयास कर रही है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस बात पर बल दिया कि किसी भी दिशा में यूक्रेनी सेना ने अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं किए, उनके अनुसार यूक्रेन को 90,000 से अधिक सैनिकों और 557 टैंकों की क्षति हो चुकी है।