वार्ता के बाद चीन ने बयान में कहा कि दोनों पक्ष "सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से संचार और बातचीत की गति को बनाए रखने" के साथ-साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के शेष मुद्दों का "परस्पर स्वीकार्य तरीके" से अतिशीघ्र समाधान करने पर सहमत हुए है।
बयान के अनुसार, दोनों सैन्य प्रतिनिधिमंडलों ने दोनों देशों के "नेतृत्व द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन" के अनुरूप "स्पष्ट, खुले और दूरदर्शी तरीके" से विचारों का आदान-प्रदान किया। महत्वपूर्ण बात यह है कि बयान में यह भी रेखांकित किया गया कि सीमा गतिरोध हल होने तक दोनों सेनाएं जमीन पर "पूर्णरूपेण शांति" बनाए रखेंगी।
Sputnik ने भारत और चीन के बीच 20वीं कोर कमांडर स्तर की बातचीत पर दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में चीनी अध्ययन के प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज में मानद फेलो डॉ. श्रीकांत कोंडापल्ली से बातचीत की। उन्होंने बताया कि इस हफ्ते हुई 20वीं कोर कमांडर स्तर की बैठक के फलस्वरूप कोई ठोस निर्णय नहीं निकला है।
"इस सप्ताह हुई 20वीं कोर कमांडर स्तर की बैठक से कोई अपेक्षाकृत परिणाम नहीं निकल जिसकी पेशकश दोनों रक्षा मंत्रियों ने दो साल पहले की थी यानी "सभी तनाव वाले बिंदुओं" पर तनाव कम करना और सैनिकों को पीछे हटाना। हालाँकि कुछ वृद्धिशील प्रगति हुई है, परंतु यह सीमावर्ती क्षेत्रों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पर्याप्त नहीं है," डॉ. श्रीकांत कोंडापल्ली ने बताया।
सैन्य-स्तरीय वार्ता पर भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के एक बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने "स्पष्ट, खुले और रचनात्मक तरीके" से विचारों का आदान-प्रदान किया। अप्रैल-मई 2020 में लद्दाख गतिरोध आरंभ होने के उपरांत से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो बार मिल चुके हैं।
पिछले नवंबर में दोनों नेताओं ने बाली में G -20 शिखर सम्मेलन के दौरान एक संक्षिप्त वार्ता की थी। डॉ. श्रीकांत आगे कहते हैं कि दोनों देशों के मध्य सीमाओं पर सशस्त्र गतिरोध बना रहेगा जब तक तनाव कम नहीं होगा।
"तनाव कम न करने और पीछे न हटने का तात्पर्य दोनों देशों के मध्य सीमाओं पर सशस्त्र गतिरोध है," डॉ. श्रीकांत ने Sputnik को बताया।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से भारतीय मीडिया में कहा गया है कि दोनों देशों के हजारों सैनिक वर्तमान में LAC के डेमचोक और देपसांग मैदानी क्षेत्रों में गतिरोध में उलझे हुए हैं।