रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में आयोजित सीआईएस शिखर सम्मेलन में कहा कि रूस फ़िलिस्तीन-इज़राइल विवाद में मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा, "नागरिकों की क्षति पूर्णतः अस्वीकार्य हैं। अब मुख्य बात रक्तपात को रोकना है।"
राष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान निकालना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इसका कोई विकल्प नहीं है।
पुतिन ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि वे मध्य पूर्व में तनाव को अमेरिका की विफल नीतियों का परिणाम मानते हैं, जिसने दोनों पक्षों के मध्य मतभेदों को दूर करने के प्रयासों को ढूँढने का प्रयास ही नहीं किया ।
पुतिन ने कहा "अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों की मध्यपूर्व चौकड़ी का उपयोग नहीं किया गया था। झूठे बहाने के अंतर्गत अमेरिका ने वास्तव में इस प्रारूप को अवरुद्ध कर दिया था, जो अद्वितीय था, और संयुक्त राष्ट्र संकल्प द्वारा अनुमोदित जनादेश था। आर्थिक सुधार के उपायों के माध्यम से एक राजनीतिक, अंतर्निहित समस्या को हल करने का प्रयास किया गया, जो कि एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य का निर्माण है"।
7 अक्तूबर को फिलिस्तीनी आंदोलन हमास ने इज़राइल पर हमला कर 'अल-अक्सा बाढ़' सैन्य अभियान के आरंभ की घोषणा की। हमास के नियंत्रण वाले गाजा पट्टी से इजराइल पर हजारों राकेट दागे गए। इसके अलावा, संगठन के लड़ाकों ने इज़राइल के सीमावर्ती इलाकों की घुसपैठ की। जवाबी कार्रवाई में, इज़राइल ने गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ़ 'आपरेशन आयरन स्वोर्ड्स' चलाया। इज़राइली सेना (आईडीएफ) ने गाजा पट्टी पर बमबारी कर इसकी पूर्ण नाकाबंदी की घोषणा की। इज़राइल से गाजा पट्टी में भोजन, बिलकी और ईंधन की आपूर्ति बंद हो गई।
दोनों पक्षों के लगभग एक हज़ार से अधिक नागरिकों की मृत्यु हो गई, कई हज़ार घायल हो गए। विभिन्न स्रोतों के अनुसार हमास ने लगभग 150 इजराइलियों को बंधक बनाया है।
रूसी विदेश मंत्रालय ने संघर्ष को रोकने का आह्वान किया है। मास्को ने कहा कि संकट का समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अनुमोदित 'दो-राज्य सिद्धांत' के आधार पर ही संभव है, जिसके अंतर्गत पूर्वी यरुशलम में अपनी राजधानी के साथ 1967 की सीमाओं के भीतर एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य बनाना है।