"मैंने घर पर ही प्रयोगात्मक यूनिट बनाई क्योंकि मैं व्यवसाय से इंजीनियर हूँ और सभी प्रकार के प्रयोग मैंने अपने घर पर किए और सैंकड़ों बार प्रयोग करने के उपरांत मुझे सफलता मिली। केसर उगाने के बारे में जानकारी के लिए मैं कश्मीर गया और उनसे सलाह करने के बाद मुझे केसर के प्रयोग में सफलता मिलने लगी और 2022 के सितंबर महीने में मुझे पुरी सफलता मिल गई जिसके बाद मैंने पूर्ण तरह केसर उगाना आरंभ कर दिया," रमेश गेरा Sputnik India से कहते हैं।
"मिट्टी पर आधारित केसर की खेती मात्र कश्मीर में होती है और हमारी तकनीक मिट्टी पर आधारित नहीं है। कश्मीर में केसर मात्र पंपोर, बडगाम और किश्तवाद जैसी जगहों में होता है क्योंकि वहां की मिट्टी बाकि कश्मीर से भिन्न है और हमारी तकनीक मिट्टी पर आधारित नहीं है तो हमें मात्र वातावरण की आवश्यकता होती है और इसी प्रकार हमने कृतिम वातावरण केसर के लिए तैयार किया," रमेश गेरा ने Sputnik India को बताया।
"हम अपनी लैब में कश्मीर की तरह वातावरण को नियंत्रित करते हैं। हमारी फसल बहुत अच्छी आती है और यह खुले मैं उगाने से कहीं बेहतर है क्योंकि खुले मैं प्रदूषण, मिट्टी से बीमारी और तापमान के बढ़ने से पौधों के लिए संकट पैदा होता है। अभी कश्मीर के पुलवामा में इंडोर तकनीक का प्रयोग प्रारंभ होने जा रहा है," रमेश गेरा ने कहा।