भारत में कनाडा की राजनयिक उपस्थिति कम करने पर भरतीत विदेश मंत्री एस जयशंकर ने टिप्पणी की कि कनाडा के राजनयिक नई दिल्ली के आंतरिक मामलों में लगातार हस्तक्षेप कर रहे थे।
जयशंकर ने कहा, “विएना कन्वेंशन में राजनयिक समानता प्रदान की गई है, जो इस [स्थिति] पर प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय नियम है। हमारे मामले में हमने समता का आह्वान किया, क्योंकि हमें कनाडाई राजनयिकों द्वारा हमारे मामलों में लगातार हस्तक्षेप को लेकर चिंता थी।”
जयशंकर ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा, “राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना विएना कन्वेंशन का सबसे बुनियादी पहलू है। और अभी इसी बात को कनाडा में कई तरीकों से चुनौती दी गई है कि हमारे लोग सुरक्षित नहीं हैं, हमारे राजनयिक सुरक्षित नहीं हैं।”
भारत और कनाडा के मध्य संबंधों में तनाव तब बढ़ गया था, जब सितंबर के अंत में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि देश के कानून प्रवर्तन अधिकारियों को कनाडाई प्रांत ब्रिटिश कोलंबिया में सिख समुदाय के नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के सम्मिलित होने का संदेह है। भारत ने इस आरोप को खारिज कर दिया।
संघर्ष, आतंकवाद से निकट क्षेत्रों के अतिरिक्त अन्य लोग भी प्रभावित: जयशंकर
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि आज की वैश्वीकृत दुनिया में संघर्ष और आतंकवाद का प्रभाव इससे निकट क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है।
भारतीय मंत्री ने कहा कि मध्य पूर्व में जो युद्ध चल रहा है उसका प्रभाव अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। राजनयिक ने कहा कि विभिन्न संघर्षों के परिणाम इससे निकट क्षेत्रों से कहीं अधिक दूर तक फैलते हैं।
उन्होंने कहा, “अलग-अलग क्षेत्रों में छोटी-छोटी घटनाएं होती हैं, जिनका प्रभाव महत्त्वपूर्ण होता है।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं आतंकवाद के बारे में बात कर रहा हूं, जिसे लंबे समय से राजकाज के हथियार के रूप में विकसित और प्रचलित किया गया है। हम सभी के लिए मूल उपाय यह है कि हमारे अस्तित्व की अखंडता को देखते हुए कोई भी आशा कि संघर्ष और आतंकवाद को उनके प्रभाव तक सीमित किया जा सकता है, अब तर्कसंगत नहीं है।”