बताया जाता है कि देश के कुछ रक्षा अधिकारियों ने पिछले हफ्ते निगरानी और टोही ड्रोन की आपूर्ति के लिए देश के छह विक्रेताओं से भेंट की और सभी आवश्यक कार्यवाही पूरी होने के उपरांत अगले महीने आदेश जारी हो सकता है।
आदेश के बाद ड्रोन आधारित प्रणाली को मई में सीमा के कुछ हिस्सों पर लगाया जा सकता है। रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इस सुरक्षा प्रणाली से पूरी सीमा को कवर करने में लगभग 18 महीने का समय लग सकता है, जिसकी वार्षिक लागत 500 मिलियन डॉलर तक हो सकती है।
हमास के इज़राइल पर किए गए हमले से भारत सरकार अपनी सीमाओं की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने पर काम कर रही है, क्योंकि भारत पहले भी कई तरह के अचानक आक्रमण देख चुका है और इस प्रकार के आक्रमणों से बचने के लिए ये प्रणाली बहुत प्रभावशाली सिद्ध होगी।
भारत की समुद्र और भूमि सीमा मिलकर 22,531 किलोमीटर है और इस सिस्टम के लगने के बाद पूरी सीमा पर लगातार निगरानी की जा सकेगी।