"आज के हालात में मध्य पूर्व की स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है, पिछले दस पंद्रह दिनों से उनके हवाई अड्डे, अस्पताल और विभिन्न क्षेत्रों में हमला किया जा रहा है। पूर्वी सीरिया में अमेरिका हमला करके ईरान को बताना चाहता है कि वह इज़राइल हमास संघर्ष के बीच नहीं आएं। अमेरिका और इज़राइल को लगता है कि ईरान हमास और हिज्बुल्लाह को समर्थन करते आ रहा है, और आगे चलकर कहीं कोई बड़ा हथियार नहीं दे दे जिससे हमास मजबूत हो जाए," भारतीय वैश्विक परिषद (ICWA) के रिसर्च फेलो फज्जुर रहमान सिद्दीकी ने Sputnik को बताया।
"अमेरिका शुरुआत से ही कह रहा है कि इस संघर्ष में ईरान का सीधे तरीके से भागीदारी नहीं है, लेकिन इज़राइल इस पूरे संघर्ष के दौरान अमेरिका को इस बात का समर्थन के लिए बोल रहा है कि ईरान इसमें प्रत्यक्ष रूप से शामिल है। अमेरिका अपने भविष्य के लिए कुछ रणनीति के तहत ईरान को इस संघर्ष में पूर्ण रूपेण सम्मिलित नहीं करना चाह रहा है," सिद्दीकी ने Sputnik से कहा।
"अमेरिका द्वारा अतिरिक्त सेना भेजना इस बात को तो दर्शाता है कि यह संघर्ष बड़ा हो सकता है, पूरी दुनिया को इस बात का डर है कि यह संघर्ष इज़राइल और गाजा के बाहर फैल जाए। अगर इस संघर्ष में मिस्र, सीरिया, जोर्डन तथा अन्य पड़ोसी देश शामिल हों या इनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया हो तब यह [दो देशों के बाहर] फैल सकता है। पिछले दिनों इज़राइल द्वारा मिस्र पर एक मिसाइल गिराए गए जिससे कुछ लोग घायल हुए थे, अगर इस तरह की छिटपुट घटना हुई तो हालात बदल सकते हैं, हालांकि इज़राइल ने अपनी गलती मानते हुए कहा था कि मिसाइल गलती से दूसरी तरफ चला गया था," सिद्दीकी ने टिप्पणी की।