"मैं 2016 में पहली बार बाल देखभाल संस्थान (CCI) में गया तो वे बच्चे मुझे अभिभावक समझकर मेरी ओर दौड़कर आए, उसके बाद मैंने बच्चों को ढूंढ कर उन्हें उनके घर पहुंचाने का जिम्मा उठाया। तब से मैं लगातार बच्चों को खोज रहा हूँ और अब तक 700 से ज्यादा बच्चों को उनके परिवार वालों से मिला चुका हूँ," ASI राजेश कुमार ने कहा।
"पिछले साल मैंने एक लड़की को 16 साल बाद उसके परिवार से मिलाया। वह 5 साल की थी जब दिल्ली में अपने परिवार से बिछड़ गई थी। मेरे पास बहुत सीमित जानकारी थी, जैसे लड़की और उसके पिता के नाम के अतिरिक्त यह कि उसकी माँ की उंगली कटी हुई थी। मैंने चार महीनों में उसके घरवालों का पता लगा लिया। वह लड़की झारखंड के गुमला की थी," हरियाणा पुलिस में ASI राजेश कुमार ने कहा।
"शुरुआत में लोग सही तरह से जवाब न देकर गाली गलोच करते थे। एक बार एक परिवार ने मुझे ही अपहरणकर्ता समझ लिया। मैंने कभी इन बातों पर ध्यान न देकर सिर्फ बच्चों को खोज कर उन्हें उनके घर पहुंचाने पर ध्यान दिया। हालांकि, अब लोग मुझे खुद फोन करके जानकारी साझा करते हैं," हरियाणा पुलिस में ASI ने कहा।