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हरियाणा से बजरंगी भाईजान: भारतीय पुलिस के ASI ने 700 से ज्यादा गुमशुदा बच्चों को घरवालों से मिलाया
हरियाणा से बजरंगी भाईजान: भारतीय पुलिस के ASI ने 700 से ज्यादा गुमशुदा बच्चों को घरवालों से मिलाया
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Sputnik India ने हरियाणा पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत राजेश कुमार से बात की, जो 2016 से लगातार गुमशुदा हुए बच्चों की तलाश में लगे हुए हैं।
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Sputnik India ने हरियाणा पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत राजेश कुमार से बात की, जो 2016 से लगातार गुमशुदा हुए बच्चों की तलाश में लगे हुए हैं। वे पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) में नियुक्त हैं। राजेश कुमार अब तक 20 राज्यों और तीन देशों से महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों सहित 700 से ज्यादा लोगों को उनके घरवालों से मिला चुके हैं।ASI राजेश कुमार के इन प्रयासों की हरियाणा पुलिस के महानिदेशक से लेकर नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी भी कर चुके हैं। सत्यार्थी ने कुमार के काम की सराहना करते हुए लिखा था कि भारत को इस प्रकार के नेक और दयालु पुलिस वालों की आवश्यकता है, और उन्हें पुलिस के इस प्रकार के कार्यों पर अत्यंत गर्व है।राजेश कुमार के इन प्रयासों को लेकर एक किताब भी छापी जा चुकी है जिसमें गुमशुदा लोगों और बच्चों के अपने घर वापस जाने और परिवारजनों से मिलने की कहानियों को पिरोया गया है। Sputnik India ने ASI राजेश कुमार से बात कर जानने का प्रयत्न किया कि कैसे वे खोए हुए बच्चों को खोजते हैं और लोग उनके इस प्रयास पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।जब राजेश कुमार से पूछा गया कि क्या कोई ऐसा केस है जिसे उन्हें हल करने में बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ी थी तो उन्होंने बताया कि एक लड़की, जो दिल्ली में अध्यापिका है, उसने उनसे उसके अभिभावकों को खोजने का आग्रह किया था और बहुत कम जानकारी होने के बावजूद उन्होंने उसके माता पिता को खोज लिया था।उन्होंने अंत में बताया कि जब कोई बच्चा खोता है तो वह माता पिता और बच्चे दोनों के लिए बहुत दुखदाई होता है, इसलिए वे लगातार अपनी इस मिशन में लगे हुए हैं और आगे भी अपना काम करना जारी रखेंगे। अभी हाल के दिनों में उन्होंने 10 से 15 बच्चों को बिहार से लाकर उन्हें उनके अभिभावकों से मिलाया, यह सभी बच्चे न बोल सकते थे और न ही सुन सकते थे।
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हरियाणा पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर, हरियाणा पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार, भारत में गुमशुदा हुए बच्चों की तलाश, भारत में बच्चों का अपहरण, rajesh kumar, assistant sub inspector (asi), anti-human trafficking unit, haryana police, director general of haryana police, nobel laureate kailash satyarthi, missing children, haryana police reunited more than 500 children with their families, child care institute
हरियाणा से बजरंगी भाईजान: भारतीय पुलिस के ASI ने 700 से ज्यादा गुमशुदा बच्चों को घरवालों से मिलाया
16:26 05.11.2023 (अपडेटेड: 16:46 05.11.2023) बॉलीवुड की मशहूर बजरंगी भाईजान फिल्म में सलमान एक खोई गूंगी बच्ची को उसके माता पिता से मिलाने के लिए पाकिस्तान जाते हैं। ऐसे ही एक बजरंगी भाईजान हैं राजेश कुमार जो खोए हुए बच्चों को उनके परिवारों से मिलाते हैं।
Sputnik India ने हरियाणा पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत राजेश कुमार से बात की, जो 2016 से लगातार गुमशुदा हुए बच्चों की तलाश में लगे हुए हैं।
वे पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) में नियुक्त हैं। राजेश कुमार अब तक 20 राज्यों और तीन देशों से महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों सहित 700 से ज्यादा लोगों को उनके घरवालों से मिला चुके हैं।
ASI राजेश कुमार के इन प्रयासों की
हरियाणा पुलिस के महानिदेशक से लेकर नोबेल पुरस्कार विजेता
कैलाश सत्यार्थी भी कर चुके हैं। सत्यार्थी ने कुमार के काम की सराहना करते हुए लिखा था कि भारत को इस प्रकार के नेक और दयालु पुलिस वालों की आवश्यकता है, और उन्हें पुलिस के इस प्रकार के कार्यों पर अत्यंत गर्व है।
राजेश कुमार के इन प्रयासों को लेकर एक किताब भी छापी जा चुकी है जिसमें
गुमशुदा लोगों और बच्चों के अपने घर वापस जाने और परिवारजनों से मिलने की कहानियों को पिरोया गया है।
Sputnik India ने ASI राजेश कुमार से बात कर जानने का प्रयत्न किया कि कैसे वे खोए हुए बच्चों को खोजते हैं और लोग उनके इस प्रयास पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।
"मैं 2016 में पहली बार बाल देखभाल संस्थान (CCI) में गया तो वे बच्चे मुझे अभिभावक समझकर मेरी ओर दौड़कर आए, उसके बाद मैंने बच्चों को ढूंढ कर उन्हें उनके घर पहुंचाने का जिम्मा उठाया। तब से मैं लगातार बच्चों को खोज रहा हूँ और अब तक 700 से ज्यादा बच्चों को उनके परिवार वालों से मिला चुका हूँ," ASI राजेश कुमार ने कहा।
जब राजेश कुमार से पूछा गया कि क्या कोई ऐसा केस है जिसे उन्हें हल करने में बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ी थी तो उन्होंने बताया कि एक लड़की, जो
दिल्ली में अध्यापिका है, उसने उनसे उसके अभिभावकों को खोजने का आग्रह किया था और बहुत कम जानकारी होने के बावजूद उन्होंने उसके माता पिता को खोज लिया था।
"पिछले साल मैंने एक लड़की को 16 साल बाद उसके परिवार से मिलाया। वह 5 साल की थी जब दिल्ली में अपने परिवार से बिछड़ गई थी। मेरे पास बहुत सीमित जानकारी थी, जैसे लड़की और उसके पिता के नाम के अतिरिक्त यह कि उसकी माँ की उंगली कटी हुई थी। मैंने चार महीनों में उसके घरवालों का पता लगा लिया। वह लड़की झारखंड के गुमला की थी," हरियाणा पुलिस में ASI राजेश कुमार ने कहा।
उन्होंने अंत में बताया कि जब कोई बच्चा खोता है तो वह माता पिता और बच्चे दोनों के लिए
बहुत दुखदाई होता है, इसलिए वे लगातार अपनी इस मिशन में लगे हुए हैं और आगे भी अपना काम करना जारी रखेंगे। अभी हाल के दिनों में उन्होंने 10 से 15 बच्चों को बिहार से लाकर उन्हें उनके अभिभावकों से मिलाया, यह सभी बच्चे न बोल सकते थे और न ही सुन सकते थे।
"शुरुआत में लोग सही तरह से जवाब न देकर गाली गलोच करते थे। एक बार एक परिवार ने मुझे ही अपहरणकर्ता समझ लिया। मैंने कभी इन बातों पर ध्यान न देकर सिर्फ बच्चों को खोज कर उन्हें उनके घर पहुंचाने पर ध्यान दिया। हालांकि, अब लोग मुझे खुद फोन करके जानकारी साझा करते हैं," हरियाणा पुलिस में ASI ने कहा।