रोशनी का त्योहार दीवाली सही मायनों में "बुराई पर अच्छाई की जीत" की नैतिकता दर्शाता है। यह भगवान राम ने एक अत्यंत शक्तिशाली राक्षस राजा रावण को मारकर युद्ध को जीत लेने के माध्यम से साबित किया।
इस बार दीवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी। Sputnik बताता है कि इस त्योहार को दुनिया भर में स्थायी वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए अन्याय के खिलाफ सामूहिक प्रयास करने पर विचार करने के अवसर के रूप में क्यों देखा जा सकता है।
विशेषज्ञ ने कहा, “जब कोई अन्याय होता है, तो हमें उसे संबोधित करना होगा, उसे ठीक करना होगा और उसे सुधारना होगा। क्योंकि अगर बुरी ताकतें आगे बढ़ती रहेंगी, तो वे अंततः मानवता को नुकसान पहुंचाएंगी।"
उन्होंने कहा, "चाहे वह भारतीय
महाकाव्य रामायण हो या महाभारत, उनका अंतर्निहित उद्देश्य और संदेश देश का कानून स्थापित करना नहीं, बल्कि धर्म का शासन स्थापित करना है। तो जब इस
युद्धोन्मादी दुनिया में कोई आपके साथ बुरी बर्ताव कर रहा हो तो आपको यही करने की ज़रूरत है"।
उन्होंने समझाया, "अगर यह एक युद्ध हो, मसलन, अगर आतंकी लोगों के जीवन को कठिन या दयनीय बना रहे हों, तो उन्हें रोकना होगा। यह मानवता के लिए होगा। ऐसा नहीं है कि आप किसी धर्म के खिलाफ हैं। यह बुरी प्रवृतियां रोकने के लिए मानवता का आह्वान है।"
विशेषज्ञ ने कहा, अंततः धर्म का शासन होना चाहिए और आपको इतना मजबूत होना चाहिए कि कोई भी आप पर हमला करने या आपको नुकसान पहुंचाने की हिम्मत न कर सके, “यही भारतीय दर्शन का सार है”।
महाजन ने कहा, इससे बुद्ध मुस्कुराते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि हम निश्चित रूप से शांति प्रेमी हैं। लेकिन किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि वे परमाणु हथियारों से हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं। विशेषज्ञ ने आगे कहा, "मूल रूप से, दर्शन यह है कि हमें इतना सक्षम होना चाहिए कि कोई भी हमसे नाराज़ होने की हिम्मत न करे।"
'धर्म' के नियम को समझाते हुए विशेषज्ञ ने कहा कि हिंदू धर्म जीवन जीने का एक तरीका है... "जो कि मेरे देश, समाज, परिवार और प्रकृति के प्रति मेरी प्रतिबद्धता, जिम्मेदारी या कर्तव्य है। इसलिए हम एक न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और प्रदूषण मुक्त दुनिया चाहते हैं, खुद का विकास करते हुए पर्यावरण की रक्षा करना चाहते हैं"।
महाजन ने कहा कि भारत का
'वसुधैव कुटुंबकम' का दर्शन सह-अस्तित्व में विश्वास रखता है। इसने कभी किसी को दूसरों पर हमला करने और उनकी जमीन पर कब्जा करने के लिए नहीं कहा। यह भी माना जाता है कि सभी को शांति से रहने का अवसर दिया जाना चाहिए।
साथ ही, महाजन ने कहा कि यह युद्ध का समय नहीं है। उन्होंने अपनी बात पूर्णतः समाप्त करते हुए कहा, "और हर देश को यह समझना चाहिए कि यही एकमात्र तरीका है जिससे हम मानवता को समृद्ध बना सकते हैं और इस पृथ्वी को रहने योग्य और इस पूरी उत्पादन प्रक्रिया को टिकाऊ बना सकते हैं।"